India Languages, asked by shrushtifendre, 2 months ago

write bhudi 4 shlokas in Sanskrit​

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Answered by IzAnju99
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1] सत्यं तपो ज्ञानमहिंसता च विद्वत्प्रणामं च सुशीलता च ।

एतानि यो धारयति स विद्वान् न केवलं यः पठते स विद्वान् ॥

सत्य, तप, ज्ञान, अहिंसा, विद्वानों को प्रणाम, (और) सुशीलता – इन गुणों को जो धारण करता है, वह विद्वान और नहीं कि जो केवल अभ्यास करता है वह ।

2] निषेवते प्रशस्तानि निन्दितानि न सेवते ।

अनास्तिकः श्रद्धानः एतत् पण्डितलक्षणम् ॥

सत्पुरुषों की सेवा, निंदितों का त्याग, अनास्तिक होना, (और) श्रद्धावान होना – ये पंडित के लक्षण हैं ।

3] रत्नैर्महार्हैस्तुतुषुर्न देवाः न भेजिरे भीमविषेण भीतिं ।

सुधां विना न प्रययुर्विरामम् न निश्चितार्थाद्विरमन्ति धीराः ॥

अति मूल्यवान रत्नों के ढेर मिलने पर देव संतुष्ट न हुए, या भयंकर विष निकलने पर वे डरे नहीं; अमृत न मिलने तक वे रुके नहीं (डँटे रहे) । उसी तरह, धीर इन्सान निश्चित किये कामों में से पीछे नहीं हटते ।

4] शुश्रूषा श्रवणं चैव ग्रहणं धारणां तथा ।

ऊहापोहोऽर्थ विज्ञानं तत्त्वज्ञानं च धीगुणाः ॥

शुश्रूषा, श्रवण, ग्रहण, धारण, चिंतन, उहापोह, अर्थविज्ञान, और तत्त्वज्ञान – ये बुद्धि के गुण हैं ।

देशाटनं पण्डित मित्रता च वाराङ्गना राजसभा प्रवेशः ।

अनेकशास्त्रार्थ विलोकनं च चातुर्य मूलानि भवन्ति पञ्च ॥

देशाटन, बुद्धिमान से मैत्री, वारांगना, राजसभा में प्रवेश, और शास्त्रों का परिशीलन – ये पाँच चतुराई के मूल है ।

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