Hindi, asked by biplov1731, 8 months ago

Write essay about rajkumari amrit kaur in hindi

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Answered by VivekHBK
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राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया का जन्म २ फ़रवरी १८८९ को उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ नगर में हुआ था। इनकी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम. ए. पास करने के उपरांत वह भारत वापस लौटीं।

१९४५ में यूनेस्को की बैठकों में सम्मिलित होने के लिए जो भारतीय प्रतिनिधि दल लंदन गया था, राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया उसकी उपनेत्री थी। १९४६ में जब यह प्रतिनिधिमंडल यूनेस्को की सभाओं में भाग लेने के लिए पेरिस गया, तब भी वे इसकी उपनेत्री (डिप्टी लीडर) थीं। १९४८ और १९४९ में वह 'आल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ सोशल वर्क' की अध्यक्षता रहीं। १९५० ई. में वह वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की अध्यक्षा निर्वाचित हुई।

१९४७ से १९५७ ई. तक वह भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं। १९५७ ई. में नई दिल्ली में उन्नीसवीं इंटरनेशनल रेडक्रास कॉन्फ्रेंस राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया की अध्यक्षता में हुई। १९५० ई. से १९६४ ई. तक वह लीग ऑफ रेडक्रास सोसाइटीज की सहायक अध्यक्ष रहीं। वह १९४८ ई. से १९६४ तक सेंट जॉन एमबुलेंस ब्रिगेड की चीफ कमिशनर तथा इंडियन कौंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर की मुख्य अधिकारिणी रहीं। साथ ही वह आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑव मेडिकल साइंस की अध्यक्षा भी रहीं।

राजकुमारी को खेलों से बड़ा प्रेम था। नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑव इंडिया की स्थापना इन्होंने की थी और इस क्लब की वह अध्यक्षा शुरु से रहीं। उनको टेनिस खेलने का बड़ा शौक था। कई बार टेनिस चैंपियनशिप उनको मिली।

वे ट्यूबरक्यूलोसिस एसोसियेशन ऑव इंडिया तथा हिंद कुष्ट निवारण संघ की आरंभ से अध्यक्षता रही थीं। वे गांधी स्मारक निधि और जलियानवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की ट्रस्टी, कौंसिल ऑव साइंटिफिक तथा इंडस्ट्रियल रिसर्च की गवनिंग बाडी की सदस्या, तथा दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी की अध्यक्षा थीं।

राजकुमारी एक प्रसिद्ध विदुषी महिला थीं। उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय, स्मिथ कालेज, वेस्टर्न कालेज, मेकमरे कालेज आदि से डाक्ट्रेट मिली थी। उन्हें फूलों से तथा बच्चों से बड़ा प्रेम था। वे बिल्कुल शाकाहारी थीं और सादगी से जीवन व्यतीत करती थीं। बाइबिल के अतिरिक्त वे रामायण और गीता को भी प्रतिदिन पढ़ने से उन्हें शांति मिलती थी। हिमाचल के मंडी से उन्होंने पहला चुनाव लड़ा था व आजाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री रही यही नहीं उन्होंने दिल्ली में एम्स की स्थापना के लिए भी काम किया ऐम्स उन्हीं की देन है।

उनकी मृत्यु २ अक्टूबर १९६४ को दिल्ली में हुई। उनकी इच्छा के अनुसार उनको दफनाया नहीं गया, बल्कि जलाया गया।

Answered by hasini11449
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राजकुमारी अमृत कौर का जन्म फरवरी 2,1889 को लखनऊ में हुआ था। वह कपूरथला शाही परिवार के राजा- हरनाम सिंह की बेटी थीं। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में प्राप्त की।

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, वह गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गांधी के संपर्क में आईं। उसके बाद उसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश किया। वह एक उत्साही घंधियन बन गई। गांधीजी द्वारा शुरू किए गए नमक सत्याग्रह में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया। 1937 में, उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

राजा हरनाम सिंह ने गोपाल कृष्ण गोखले सहित कई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) पार्टी के नेताओं का विश्वास हासिल किया। इंग्लैंड से भारत लौटने के बाद, राजकुमारी को उन नेताओं के अपने पिता के घर की सामयिक यात्राओं के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दिलचस्पी हुई। 1919 में बॉम्बे (मुंबई) में महात्मा गांधी से मिलने के बाद, उन्होंने देश के लिए अपने विचारों और दूरदर्शिता को महसूस किया। ब्रिटिश राज द्वारा उसी वर्ष भारतीय नागरिकों का कुख्यात जलियांवाला बाग नरसंहार…

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