write essay in hindi topic ' hamare tyohar aur unka bigadta svaroop' sanket bindu: 1) tyohar aur parv manane ke karan va mahatav 2) tyoharo ke svaroop 3) rashtriya Ekta aur akhandata me tyoharo ka yogdan 4) tyohar sanskritik dhrohar ke pratik
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त्यौहार हमारे जीवन में डेढ़ सारी खुशियां लाते है। चारो तरफ रौनक छा जाती है। पहले के ज़माने में और आज के ज़माने में पर्वो का बदलता स्वरुप हमे देखने को मिल रहा है। त्यौहार तो एक ही है बल्कि मनाने का अंदाज़ बदल गया है।
दिवाली खुशियों और दीपो को शुभ त्यौहार है। पहले के ज़माने में दिवाली आने के एक डेढ़ महीने पहले से ही जमकर तैयारियां लोग करते थे। घरो की साफ़ सफाई से लेकर घरो को सजाना और अपने परिजनों को क्या तोफे देंगे, हर चीज़े के फैसले और तैयारी शुरू कर दी जाती थी। अब ज़माना बदल गया है। कुछ लोग अपने काम को ज़्यादा महत्व देते है कि वह दिवाली के दो दिन पहले ही तैयारी शुरू कर पाते है। आजकल लोग मोबाइल और सोशल मीडिया में ज़्यादा व्यस्त रहते है। लोग दिवाली की शुभकामनाएं दोस्तों से मिलकर नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर मैसेज भेजकर करते है।
ज़्यादातर लोग त्योहारों की तैयारी स्वंग ना करके, अन्य घर के सेवको से करवाते है। पहले संयुक्त परिवार एक साथ मिलकर दिवाली मनाते थे मगर आज ऐसा नहीं है। लोग अपने निजी उन्नति के लिए अपने परिवारों से अलग रहते है। आजकल के परिवार बेहद छोटे होते जा रहे है, जिसकी वजह से त्योहारों के रंग थोड़े फीके पड़ते हुए नज़र आ रहे है।
पहले जैसे होली खेली जाती थी, आज होली के वह रंग पहले की तरह रंगीन नहीं होते है। पहले के समय में होली आने के कुछ दिन पहले से ही बच्चे से लेकर बड़े पिचकारी में रंग भरकर गली-मोहल्ले में आने वाले हर एक व्यक्ति पर रंग फेक देते थे। आजकल लोगो के पास समय की कमी हो गयी है, उनके पास इतना वक़्त नहीं है कि वह इतने दिनों तक होली मना सके।