Hindi, asked by kaushikdoshi, 1 year ago

write essay on जलते हूए मकान का दृशय​

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Answered by philominajoseph
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आज का यह युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने हमारे जीवन को सुखमय बनाने के लिए हमें कई वस्तुएँ प्रदान की हैं। किन्तु आए दिन दुर्घटनाएँ होती हैं। प्रति दिन कई लोग मारे जाते हैं। कभी बड़े बड़े भवनों में आग लग जाती है। ऐसे हृदय विदारक दृश्य मन को दहला देते हैं ।

जून का महीना था। बहुत गरमी थी। दोपहर का समय था। मैं अपने कमरे में बैठा मुंशी प्रेम चन्द का उपन्यास ‘गोदान’ पढ़ रहा था। अकस्मात बाहर से शोर सुनाई दिया। मैं कमरे से बाहर आया। आग आग’ शब्द ने मुझे विचलित कर दिया था। मेरे घर से थोड़ी दूरी पर सेठ हजारी मल के मकान में आग लगी थी। धूआँ आकाश में उड़ रहा था। लपटें भी उठ रही थीं। लोग शोर मचाते हुए आग पर पानी की बाल्टियाँ डाल रहे थे।

मैंने घर आकर दमकल के लिए फोन किया। आधे घण्टे के बाद तीन दमकलें घण्टी बजाती हुई पहुँच गईं। अग्नि शमन का कार्य कर्मचारियों ने तीव्रता से आरम्भ कर दिया। मैं बालचर (स्काऊट) हूँ। मैं भी सेठ जी की सहायता करना चाहता था। मैंने देखा कि सेठ जी की पली अपने मकान के बाहर खड़ी रो रही थी। उसका ग्यारहवां पुत्र मकान की चौथी मंजिल में सो रहा था। पहले तो मैंने सोचा कि यदि एक सैनिक शहीद हो जाए तो देश की सेना को कोई विशेष हानि नहीं होती। फिर सोचा कि क्रिकेट टीम के ग्यारह खिलाड़ियों में से एक खिलाड़ी को यदि चोट आ गई तो देश को बहुत हानि होगी। अतः मैंने उसे बचाने का निश्चय किया। मैं लोहे के खंबे से चौथी मंजिल पर पहुँचा। बच्चा बड़े मजे से सो रहा था। लपटें ऊपर पहुँच रही थीं। मैं बच्चे को लेकर खिड़की के पास पहुँचा। नीचे जाल पकड़ कर लोग खड़े थे। मैंने ऊपर से सावधानी से बालक को फेंका। वह सुरक्षित नीचे पहुँचा। मैं भी धीरे-धीरे नीचे उतर आया।

आधे घण्टे में आग पर काबू पाया गया। फ़रनीचर, कपड़े और दूसरा सामान जल गया। लगभग पचास हजार की हानि हुई। भगवान का धन्यवाद कि किसी की जान नहीं गई। नौकर की असावधानी के कारण यह दुर्घटना घटी थी। वह किचन में जलती बीड़ी छोड़ आया था। हमें सावधानी से आग को प्रयोग में लाना चाहिए।

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