Hindi, asked by swag33, 9 months ago

write essye on हमारी पाठशाला का चपरासी in hindi​

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Answered by xShreex
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हमारी पाठशाला का चपरासी

भोलाराम हमारी पाठशाला का प्रधान चपरासी है। अपने नाम के अनुसार वह सचमुच भोला है। पाठशाला में भोलाराम के अलावा और भी चार चपरासी हैं। भोलाराम उन सभी से प्रेम और आत्मीयता रखता है।

भोलाराम का रंग साँवला है। वह साफ-सुथरी वर्दी पहनता है। वह खाकी रंग की टोपी लगाता है। हमारी पाठशाला ग्यारह बजे शुरू होती है। पर भोलाराम तो नौ बजे ही पाठशाला में हाजिर हो जाता है। भोलाराम के कारण ही अन्य चपरासी भी जल्दी पहुँच जाते हैं। पाठशाला में पहुँचते ही सब अपने-अपने काम में जुट जाते हैं।

भोलाराम अपने सहयोगियों के साथ सबसे पहले पूरे विद्यालय की सफाई करता है। फिर वह हर कक्षा में जाकर ब्लैक बोर्ड साफ करता है और हर चीज ठीक से रखता है। वह सही समय पर घंटा बजाता है। पिछले पच्चीस साल से भोलाराम इसी तरह पाठशाला की सेवा करता आ रहा है।

भोलाराम अपना हर काम लगन से करता है। कोई पुस्तक, कोई नक्शा या कोई भी फाइल माँगिए, भोलाराम तुरंत लाकर हाजिर कर देता है। बैंक से रुपये निकालने हों या बैंक में रुपये जमा करने हों, स्कूल के लिए कोई खरीदारी करनी हो, भोलाराम हर काम का जानकार है। काम के प्रति लापरवाही उसे पसंद नहीं। इसलिए सभी, अध्यापक भोलाराम को बहुत चाहते हैं। प्रधानाचार्य का तो वह दाहिना हाथ ही है।

_ भोलाराम पाठशाला के विद्यार्थियों को अपने बच्चों की तरह प्यार करता है। पर यदि कोई विद्यार्थी अनुशासन भंग करता है, तो वह उसे जरूर टोकता है। जब पाठशाला के विद्यार्थी पर्यटन पर जाते हैं तो भोलाराम उनके साथ जाता है। अन्य चपरासी भी उसके साथ जाते हैं। वह विद्यार्थियों के सामान की देखभाल करता है। पाठशाला में कोई समारोह होता है, तो उसकी भाग-दौड़ देखते ही बनती है।

पचास वर्ष का भोलाराम चुस्ती-फरती में किसी से कम नहीं है। यह पाठशाला ही भालाराम की दुनिया है। हजारों विदयार्थी आए और गए पर भोलाराम आज भी जहाँ का तहाँ है। हमारी पाठशाला के लिए उसकी सेवाएँ अमूल्य हैं।

Answered by himanshu121190
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हमारी पाठशाला का चपरासी

हमारी पाठशाला में वैसे तो बहुत चपरासी हैं किन्तु सभी का प्यारा और सम्मानित केवल एक हैं राम नाथ जी | सभी उनको सम्मान से बुलाते है चाहे अधयापक हो या प्रधानाचार्य | ऐसा प्रतीत होता हैं मनो पूरे पाठशाला  का भागदौड़ उन्होंने अपने ही हाथो में ही ले रखी हैं |

समय  से पाठशाला  पहुंचना, उसके बाद पाठशाला  की साफ़ सफाई, कक्षा की सफाई और सभी कालांश की घंटी बजाना आदि सभी काम की देख उन्ही के द्वारा की जाती हैं |

उम्र के लिहाज से तो उनकी उम्र लगभग 50 वर्ष है किन्तु कार्य में उनकी फुर्ती देखे नहीं बनती| सभी के हाब भाव को समझने वाले हैं राम नाथ जी | मुझे अच्छे से याद है जब म पहली बार पाठशाला में आया था तो मेरे पहले मित्र वही थे और ये केवल मेरे ही नहीं पाठशाला में अपना पहला कर्म रखने वाले हर बच्चे के पहले मित्र सदा से वही ही रहे हैं |

सायद ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा कि वे पाठशाला को अपना दूसरा घर समझ बैठे हैं |  शब्द कम पड़ सकते हैं उनके लिए किन्तु उनके सवभाव की व्याख्यान नहीं |

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