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Explanation:
ऊपर है, मगर सबसे ऊपर है माता-पिता का स्थान। उसमें भी मां सर्वोपरि है। वेद ग्रंथों में उल्लिखित के अलावा तमाम उदाहरण हैं, जो मां को सबसे बड़ा बताते हैं।
यह उद्गार कथा वाचक स्वामी वीएल नरसिंहाचार्य ने व्यक्त किया। वे मंगलवार को लक्ष्मी नारायण मारवाड़ी पंचायती मंदिर पांडेय बाजार में आयोजित शिव पुराण की संगीतमयी कथा की अमृत वर्षा कर रहे थे। कहा कि स्वर्ग में देवताओं व ऋषियों में बहस छिड़ी की कौन बड़ा है। पूथ्वी कहे मैं, शेष नाग कहें मैं, रावण ने कहा मैं हूं बड़ा बालि ने अपने को बड़ा जबकि राम ने कहा मैं बड़ा क्योंकि मैंने बालि का वध किया। जबकि भक्त ने कहा कि मैं सबसे बड़ा हूं क्योंकि जिस राम के नाम से भव सागर पार होता है प्राणी उसे अपने हृदय में धारण कर रखा हूं।
गणेश चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने कहा कि भगवान कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करने चले जाते हैं। लेकिन गणेश जी माता पिता की परिक्रमा करते हैं। परिणाम गणेश जी विजयी होते हैं। यानी माता पिता का स्थान सर्वोपरि है। शास्त्र की व्याख्या करते कथा व्यास कहते हैं कि शास्त्र कहता है कि सबसे बड़ा भगवान, उससे बड़ा गुरु, गुरु से बड़ा पिता तथा पिता से भी बड़ा है मां का स्थान।
रामायण के अध्याय का वर्णन करते कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीराम सुबह उठकर पहले माता पिता फिर गुरु को माथा नवाते हैं।
इस अवसर पर संकटा मिश्र, जयराम मिश्र, रामशरण, अमरनाथ, ओम प्रकाश लोहिया, जुग्गी लाल, राम सिंह, रामशंकर,मदन गोपाल, गौरीशंकर, शिव कुमार सहित तमाम श्रद्धालुओं ने भाग लिया।