write in hindhi essay about mahathma gandhi.
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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भारत के ही नहीं बल्कि संसार के महान पुरुष थे। वे आज के इस युग की महान विभूति थे। महात्मा गाँधी जी सत्य और अहिंसा के अनन्य पुजारी थे और अहिंसा के प्रयोग से उन्होंने सालों से गुलाम भारत वर्ष को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाया था। विश्व में यह एकमात्र उदाहरण है कि गाँधी जी के सत्याग्रह के समक्ष अंग्रेजों को भी झुकना पड़ा।
02 ओक्टोबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गाँव में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था।गांधीजी ने भारत की स्वतंत्रा का काफी अहम योगदान था।गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे की वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाये।1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था।लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते है।गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी।बापू हिंसा के खिलाफ थे। बापू अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे।आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हे राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया।बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत बनाते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।
महात्मा गांधी पर निबंध 300 words (Mahatma Gandhi Essay in Hindi in 300 words)
“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवां दिया गया था।
बचपन से ही गांधी जी को पढ़ाई में मन नहीं लगता था । इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से संपंन हुई, हाईस्कूल की परिक्षा इन्होंने राजकोट से दिया। और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से संपन्न किया।महात्मा गाँधी का शिक्षा में योगदान महात्मा गाँधी का यह मानना था भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधिन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था।
7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता।शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है। गांधीजी को बचपन में लोग मन बुद्धि समझते थे। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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“अहिंसा परमो धर्मः” के सिद्धांत को नींव बना कर, विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी के जंजीर से आजाद कराया। वह अच्छे राजनीतिज्ञ के साथ बहुत अच्छे वक्ता भी थे। उनके द्वारा बोले गए वचनों को आज भी लोगों द्वारा दोहराया जाता है।
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि। 13 वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से करवां दिया गया था।
बचपन से ही गांधी जी को पढ़ाई में मन नहीं लगता था । इनकी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से संपंन हुई, हाईस्कूल की परिक्षा इन्होंने राजकोट से दिया। और मैट्रीक के लिए इन्हें अहमदाबाद भेज दिया गया। बाद में वकालत इन्होंने लंदन से संपन्न किया।महात्मा गाँधी का शिक्षा में योगदान महात्मा गाँधी का यह मानना था भारतीय शिक्षा सरकार के नहीं अपितु समाज के अधिन है। इसलिए महात्मा गाँधी भारतीय शिक्षा को ‘द ब्यूटिफुल ट्री’ कहा करते थे। शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा। भारत का हर नागरिक शिक्षित हो यही उनकी इच्छा थी। गाँधी जी का मूल मंत्र ‘शोषण विहिन समाज की स्थापना’ करना था।
7 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए।शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हो।साक्षरता को शिक्षा नहीं कहा जा सकता।शिक्षा बालक के मानवीय गुणों का विकास करता है। गांधीजी को बचपन में लोग मन बुद्धि समझते थे। पर आगे चल कर इन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।