Hindi, asked by TanishkaKulkarni, 4 months ago

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Answered by sahibsaifi12291
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paplu taplu

Tok-Tok

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Indian railway

Ghazipur: unlimited crush

Answered by deepa0403
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आंख-मिचौली खेल

आंख-मिचौली एक मजेदार खेल है। इस खेल को लड़के-लड़कियां एक साथ या अलग-अलग टोलियां बनाकर खेल सकते हैं। इस खेल में किसी एक खिलाड़ी के आंख में एक कपड़े की पट्टी बांध दी जाती है। यह खिलाड़ी पट्टी बांधे-बांधे अपने आसपास के खिलाड़ियों को पकड़ने की कोशिश करता है जिसे वह पकड़ लेता है तो फिर पट्टी उसके आंखों में बांधी जाती है।

कुछ याद आया आपको, बचपन में ये खेल हम अपने दोस्तों के साथ ऐसे ही मजेदार तरीके तरीके से खेलते थे। इसी को कहीं-कहीं दूसरे तरीके से खेला जाता है। जिसके आंख में पट्टी बंधी होती है उसके सिर पर कई लोग एक-एक करके थप्पी देते हैं। सबसे पहले थप्पी किसनें दी उसका नाम पट्टी बांधने वाले खिलाड़ी को बताना होता है। इस खेल में खिलाड़ियों की संख्या कितनी भी हो सकती है।

लंगड़ी टांग खेल

ज्यादातर यह खेल लड़कियां खेलती हैं, कई बार लड़के भी इस खेल का मजा लेने से पीछे नहीं हटते। इस खेल को हर जगह अलग-अलग तरीके से खेला जाता है जिसमें एक तरीका ये भी है। इस खेल को खेलने के लिए चौपाल या कहीं भी खुली जगह में नौ खाने बनाने होते हैं। तीन-तीन खानों की तीन लाइनें होती हैं। जो बीज का गोला होता है इसमें क्रास का निशाँ लगा देते हैं। पहले खाने से लेकर आठ खाने तक बारी-बारी खेलना पड़ता है।

खेल की शुरुआत पहले खाने से करते हैं, घर में फूटे मिट्टी के घड़े की एक गोल गुप्पल बनाते हैं। पहले खाने से लेकर उसे क्रास वाले खाने तक एक टांग से खड़े होकर सरकाना पड़ता है। जब क्रास वाले खाने में गुप्पल और खिलाड़ी दोनों पहुंच जाएं तो वहां दोनों पैर रख सकते हैं। इसके बाद उस गुप्पल हो एक पैर से इतनी तेज मारना पड़ता है जिससे वो उन नौ खानों के बाहर निकल जाए। इसके बाद खिलाड़ी को उस क्रास वाले खाने से फांदकर गुप्पल को पैरों से छूना होता है। तबी कहीं जाकर पहला राउंड पूरा होता है अगर इस दौरान ये गुप्पल किसी भी लाइन में छू गयी तो दूसरे खिलाड़ी को मौका मिलता है। इसमें दो या उससे अधिक खिलाड़ी खेल सकते हैं।लब्बो-डाल खेल

ये खेल पेड़ों पर चढ़कर खेला जाता है। जिसमें एक खिलाड़ी को छोड़कर सभी पेड़ों की अलग-अलग डाल पर बैठ जाते हैं। एक खिलाड़ी नीचे रहता है, एक गोल गोला करके इसमें एक दो हाथ के एक डंडे को रखा जाता है। जो खिलाड़ी नीचे होता है उसे ऊपर चढ़े किसी खिलाड़ी को छूना होता है इसके बाद उस लकड़ी को पकड़ कर चूमना होता था। अगर खिलाड़ी छूने के बाद लकड़ी पकड़कर न चूम पाए और इस दौरान दूसरा खिलाड़ी उस लकड़ी को दूर फेक दें तो उसे ये प्रक्रिया दोबारा करनी पड़ती है। जो खिलाड़ी पकड़ जाता है तो फिर उसे दूसरे खिलाड़ियों को ऐसे ही पकड़ना होता है।

गुट्टे का खेल

ये लड़कियों का सबसे पसंदीदा खेलों में से एक होता है। इस खेल को खेलने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। पत्थर या ईंटों के पांच गोल टुकड़े से खेला जाता है। इस खेल में पत्थर के एक टुकड़े को हवा में उछालना होता है, उसके नीचे आने तक दूसरे टुकड़े को हाथ में उठाना होता है। इस खेल में बहुत फुर्ती चाहिए होती है, क्योंकि हवा में उछलने वाले गुट्टे के नीचे गिरते ही दूसरे गुट्टे को उठाना होता। इस खेल की अलग-अलग प्रक्रियाएं होती हैं। इसे अलग-अलग जगह कई तरीकों से खेला जाता है इससे हाथों की कसरत अच्छी हो जाती है।

लूडो, सांप सीढ़ी खेल

लूडो, सांप सीढ़ी एक ऐसा खेल है जिसे शहर और गांव हर जगह खेला जाता है। बाकी खेलों की अपेक्षा ये खेल अभी प्रचलन में है। लूडो इसलिए अभी भी प्रचलित है क्योंकि ये अब मोबाइल में भी डाउनलोड करके खूब खेला जाता है। सांप-सीढ़ी में एक से 100 तक की गिनती होती है। इसमें जगह-जगह छोटे बड़े कई सांप होते हैं और कई सीढ़ियां भी। सीढ़ियों से ऊपर जाने का मौका मिलता है सांप से नीचे आ जाते हैं।

छुपन-छुपाई खेल

ये खेल पहले सर्दियों में खूब खेला जाता था। पुआल के और लकड़ियों के ढेर में कहीं भी छुप जाओ दूसरा साथी खोजता रहता था। एक साथी 100 तक गिनती गिनता तबतक आस-पास सभी साथी छिप जाते। एक-एक करके सभी साथियों को खोजना होता है, अगर इस दौरान जो खिलाड़ी खोज रहा है उसे छुपा हुआ कोई भी साथी पीछे से उसके सिर को छू ले तो उसे दोबारा पूरे साथियों को खोजना होता है।

रस्सी कूदना खेल

इस खेल को भी ज्यादातर लड़कियां खेलती हैं। इसे पेट कम करने या बजन घटाने का एक अच्छा व्यायाम भी माना जाता है। एक रस्सी को टुकड़े से लगातार कूदना होता है अगर बीच में रुक गये या रस्सी पैरों में फंस गयी तो दूसरे खिलाड़ी को मौका मिलता। दूसरा तरीका ये भी है कि दो लड़कियां रस्सी के एक-एक छोर को पकड़ लें और तीसरी लकड़ी बीच में कूदती है। जो सबसे ज्यादा बिना रुके कूदती है जीत उसी की मानी जाती है।

पोसंपा खेल

इस खेल को लड़कियां ज्यादातर स्कूल में खेलती थीं। दो खिलाड़ी अपने-अपने दोनों हाथ ऊपर करके एक दूसरे को पकड़ लेते थे। जिसमें बाकी साथियों को होकर गुजरना पड़ता था। इस दौरान एक गीत गाया जाता था, 'पोसंपा भई पोसंपा, लाल किले में क्या हुआ, सौ रुपए की घड़ी चुराई, अब तो जेल में जाना पड़ेगा, जेल की रोटी खाना पड़ेगा...इस लाइन के खत्म होते ही जो पकड़ में आ जाता वो आउट हो जाता।

गिल्ली-डंडा

क्रिकेट और बेसबॉल से मिलता जुलता ये खेल एक वक्त में क्रिकेट से भी ज़्यादा लोकप्रिय हुआ करता था। ये खेल लकड़ी के एक छोटे टुकड़े, यानी गिल्ली और एक और एक डंडे से खेला जाता है। खिलाड़ियों को गिल्ली में इस तरह हिट करना होता है कि वो जितनी दूर हो सके, उतनी दूर जाकर गिरे।

कंचे

गाँव के गलियारों में, स्मॉल टाउन के मुहल्लों में, स्कूल के अहाते में, एक वक्त था जब बच्चे अक्सर कंचे खेलते दिख जाते थे। यूं तो ये खेल लड़कों में ज्यादा प्रचलित रहा है, लेकिन कंचे की ये गोलियां लड़कियों के भी खेल-खिलौनों का हिस्सा रही हैं। हालांकि कंचे पूरी तरह से बच्चों की ज़िंदगी से गुम नहीं हुए हैं।

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