Physics, asked by komal8075, 1 year ago

write Katta on Jaise karave tase bharave​

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Answered by sandy1278
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Explanation:

मनुष्य का अपने कर्म पर अधिकार है। वह कर्म के अनुसार फल प्राप्त करता है। अच्छे कर्म करने पर उसे फल भी अच्छा मिलता है। बुरे कर्म का परिणाम बुरा होता है। कर्म करना बीज बोने के समान है। जैसा बीज होता है, वैसा ही पेड़ और वैसे ही फल होते हैं। एक कहावत है – बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाय? इसलिए बड़े-से-बड़े अपराधी अंततः बुरी मौत मरते हैं। जो बेईमानी से धन कमाते हैं, उनके बच्चे बेईमान और दुश्चरित्र बनते हैं। उनकी बुराई का परिणाम उन्हें मिल ही जाता है। हमारा व्यक्तित्व हमारे कर्मों का ही प्रतिबिंब है। अगर हम आजीवन कुछ पाने के लिए भागदौड़ करते हैं तो इससे हमारा जीवन ही अशांत होता है।

एक छात्र परिश्रम की राह पर चलता है तो उसे सफलता तथा संतुष्टि का फल प्राप्त होता है। दूसरा छात्र नकल और प्रवंचना का जीवन जीता है। उसे जीवनभर चोरों, ठगों और धोखेबाजों के बीच रहना पड़ता है। दुष्ट लोगों के बीच जीना भी तो एक दंड है, अशांति है। अतः मनुष्य को पुण्य कर्म करने चाहिए। इसी से मन में सच्चा सुख जागता है, सच्ची शांति मिलती है।

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