write niband on agar mien doctor hoti tho in 20 to 25 lines
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डॉक्टर को ईश्वर का दूसरा रूप भी कहते हैं। ईश्वर मनुष्य को जन्म देकर पृथ्वी पर भेज देता है, परंतु बाद में मनुष्य को जब भी कोई बीमारी होती है तो उसका इलाज डॉक्टर ही करता है।
एक मरीज को देखने में सिर्फ 2 से 5 मिनट का समय देते हैं। उनका लक्ष्य अधिक से अधिक पैसा कमाना बन जाता है। पर यदि मैं डॉक्टर होता तो इस तरह की कोई लापरवाही नहीं करता। अपने ज्ञान के अनुसार उनकी अच्छे से जांच करता और सही दवा लिखता।
आज के युग में डॉक्टरों ने अंधेर मचा रखा है। एक तरफ वे 200 से लेकर 500, 1000 रुपये तक मोटी फीस वसूलते हैं और दूसरी तरफ मरीजों को जरूरत से ज्यादा दवाएं लिख देते हैं। बहुत ही जगह तो डॉक्टर को एक बार दिखाने पर मरीज का 4 से 5 हजार रूपये तक खर्च हो जाता है।
इतना ही नहीं जब मरीज डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाएँ लेने दुकान पर जाता है तो उसे किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाती है क्योंकि दुकानदार द्वारा डॉक्टर को दवाओं पर मोटा कमीशन देना पड़ता है।
इस तरह कहा जा सकता है कि डॉक्टरों ने अपने पेशे में बेईमानी करना शुरू कर दिया है। मैं इस तरह का कोई धोखा मरीजों के साथ नहीं करता और उन्हें सिर्फ जरूरत के हिसाब से ही दवा का परामर्श देता।
हमारे देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो बहुत गरीब हैं। उनके पास महंगी दवा खरीदने के पैसे नहीं होते हैं। डॉक्टर की फीस चुकाने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता है। इस श्रेणी में छोटे मजदूर, कामगार, रिक्शेवाले, रेड़ी वाले, फैक्ट्री के मजदूर, भिखारी जैसे लोग आते हैं। उन लोगों को अच्छा इलाज नहीं मिल पाता है। यदि मैं डॉक्टर होता तो अपने खाली वक्त में लोगों की निशुल्क उपचार करता।
दोस्तों, हर पेशेवर आदमी काम करते करते थक जाता है और उसे छुट्टियों की जरूरत होती है। पर क्या आपने सोचा है कि एक डॉक्टर यदि कुछ दिन छुट्टी पर चला जाए तो इसका क्या असर होगा? बहुत से मरीज तो बिना इलाज के ही मर जाएंगे।