Write on essay sangati ka prabhav
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इस प्रकार जैसे स्वाति नक्षत्र में बरसी पानी की एक बूंद यदि केले के गर्भ में चली जाए, तो मोती बन जाती है। समुन्द्र की सीपी में पड़ जाए तो मोती बन जाती है, लेकिन यदि सर्प के मुंह में चली जाए तो विष बन जाती है। ठीक उसी प्रकार से मनुष्य यदि अच्छे लोगों की संगति में रहता है तो अच्छा बनता है। वहीं बुरे लोगों के साथ उठता बैठता है, तो उसमें अवगुण आते हैं। ऐसे में हम कह सकते है कि मनुष्य की पहचान उसके अपनी संगति के माध्यम से होती है।
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