English, asked by shrijanb93, 7 hours ago

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Answered by s1655vansh68968
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गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,क्रांति जिसने लादी थी सोच वो गाँधी वादी थी,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,क्रांति जिसने लादी थी सोच वो गाँधी वादी थी,उन्होंने कहा करो अत्याचार थक जाओगे आखिरकार,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,क्रांति जिसने लादी थी सोच वो गाँधी वादी थी,उन्होंने कहा करो अत्याचार थक जाओगे आखिरकार,जुल्मों को सहते जाएंगे पर हम ना हाथ उठाएंगे,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,क्रांति जिसने लादी थी सोच वो गाँधी वादी थी,उन्होंने कहा करो अत्याचार थक जाओगे आखिरकार,जुल्मों को सहते जाएंगे पर हम ना हाथ उठाएंगे,एक दिन आएगा वो अवसर जब बाँधोगे अपने बिस्तर,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,क्रांति जिसने लादी थी सोच वो गाँधी वादी थी,उन्होंने कहा करो अत्याचार थक जाओगे आखिरकार,जुल्मों को सहते जाएंगे पर हम ना हाथ उठाएंगे,एक दिन आएगा वो अवसर जब बाँधोगे अपने बिस्तर,आगे चलके ऐसा ही हुआ गाँधी नारों ने उनको छुआ,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,क्रांति जिसने लादी थी सोच वो गाँधी वादी थी,उन्होंने कहा करो अत्याचार थक जाओगे आखिरकार,जुल्मों को सहते जाएंगे पर हम ना हाथ उठाएंगे,एक दिन आएगा वो अवसर जब बाँधोगे अपने बिस्तर,आगे चलके ऐसा ही हुआ गाँधी नारों ने उनको छुआ,आगे फिरंग की बर्बाद थी और पीछे उनकी समाधि थी,

गौरों की ताकत बाँधी थी गांधी के रूप में आंधी थी,बड़े दिलवाले फकीर थे वो पत्थर के अमिट लकीर थे वो,पहनते थे वो धोती खादी रखते थे इरादें फौलादी,उच्च विचार और जीवन सादा उनको प्रिय थे सबसे ज्यादा,संघर्ष अगर तो हिंसा क्यों खून का प्यासा इंसा क्यों,हर चीज का सही तरीका है जो बापू से हमने सिखा है,क्रांति जिसने लादी थी सोच वो गाँधी वादी थी,उन्होंने कहा करो अत्याचार थक जाओगे आखिरकार,जुल्मों को सहते जाएंगे पर हम ना हाथ उठाएंगे,एक दिन आएगा वो अवसर जब बाँधोगे अपने बिस्तर,आगे चलके ऐसा ही हुआ गाँधी नारों ने उनको छुआ,आगे फिरंग की बर्बाद थी और पीछे उनकी समाधि थी,गौरों की ताकत बाँधी थी गाँधी के रूप में आंधी थी।

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