India Languages, asked by krisha5678, 4 months ago

write pratayas of all the tenses in Sanskrit ​

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Explanation:

अद्यतन काल applies to any today's event.

*अनद्यतन past tense is used for event, that is not so ancient.

*परोक्ष is for event that we have not seen.

लट्लकार / laTlakaara (Present Tense): लट्लकार (laTlakaara) represents verb-forms in present tense (वर्तमानकाल / vartamaanakaala). So, while forming a sentence which is in present tense, the verb (क्रिया / kriaa) has to be in लट्लकार (laTlakaara).

Example:

बालकः पठति

बालिका गच्छति

लृट्लकार / lRRiTlakaara (Future Tense): लृट्लकार (lRRiTlakaara) verb-forms represent the future tense in a sentence. So, while forming sentences in future tense we need to use verbd-forms from लृट्लकार (lRRiTlakaara).

Example:

रामः पठिष्यति

वयं गमिष्यामः

लङ्लकार / laN^lakaara (Past Tense): लङ्लकार (laN^lakaara) verb-forms represent the past tense in a sentence. So, while forming sentences in past tense we need to use verbd-forms from लङ्लकार (laN^lakaara).

Example:

बालिका अपठत्

बालकाः अगच्छन्

वयं अपठाम

लोट्लकार(आज्ञार्थक वृत्ति) / loTlakaara (Imperative Mood - Commands & Requests): का प्रयोग मुख्या रूप से नीचे दिए गए संदर्भो में होता है :

क) आज्ञा या सलाह का भाव बताने के लिए |

ख) इच्छा या प्रार्थना को प्रकट करने के लिए |

These verb-forms are used while giving commands or requests

Example:

रामः पठतु

त्वं पठ

वयं पठाम

विधैलिङ्लकार(सम्भावनार्थक वृत्ति) / vidhailiN^lakaara (Optative Mood - Should or May): - का प्रयोग मुख्या रूप से नीचे दिए गए संदर्भो में होता है :

क) इच्छा, सलाह या आशीर्वाद के लिए |

ख) संदेह या संभावना सूचित करने के लिए |

ग) संभाव्यता प्रदर्शित करने के लिए |

घ) हेतुहेतुमद वाक्यांशों में |

विधैलिङ्लकार (vidhailiN^lakaara) verb-forms represent sentences in optative mood. So, any sentence indicating possibility of something verb-forms of विधैलिङ्लकार (vidhailiN^lakaara) should be used.

Example:

बालिका पठेत्

बालकाः गच्छेयुः

युयं पठेत

टिप्पणी: लोट लकार(आज्ञार्थक वृत्ति) और विधिलिंग(सम्भावनार्थक वृत्ति) का प्रयोग कभी कभी एक दुसरे के स्थान पर होता है | इन दोनों का प्रयोग इच्छा, आशीर्वाद या परामर्श की अभिव्यक्ति के लिए हो सकता है | परन्तु लोट का प्रयोग अधिकांशतः आज्ञा देने के लिए और विधिलिंग का प्रयोग प्रायः आशीर्वाद और इच्छा जताने के लिए होता है |

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