write sanvad lekhan between to friends over 'samay ka mahatva'
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समय के महत्व पर पिता और पुत्र पर संवाद
पिताजी-- बेटा तुम इतनी देर तक सोते रहोगे तो जीवन पथ पर आगे कैसे बढ़ोगे? बेटा-- क्या पिताजी...आप भी न एक दिन छुट्टी के दिन में आराम करता हूं तब भी आप मुझपर चिल्लाते हैं। पिताजी-- नहीं, बेटा मैं तुम पर चिल्ला नहीं रहा। तुम्हें बस सचेत कर रहा हूं कि तुम समय के साथ चलो।
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