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Answers
कोरोना महामारी नहीं,प्रकृति का एक संदेश लेकर आया है।
जिसने प्रकृति के दुश्मनों को आज चेताया है।।
जो लोग दूर जाकर प्रवासी हो गए थे।
उनको आज फिर से अपनों से मिलवाया है।।
बागों से पेड़ों का कटान हमेशा से होता रहा।
कटान को रुकवा कर आज, बागों में कोयल को कूकाया है।।
वन्य जीवो की भूमी, जो इंसानों ने कब्जा ली थी।
आज कोरोना ने उनकी, भूमि को वापस लौट आया है।।
जिन रंगों को हम अपने स्वार्थ के लिए भूल चुके थे।
आज वह रंग उड़ते पक्षियों,तितलियों और खिलते फूलों में दिखाया है।।
जो लोग जिंदगी की दौड़ में बेवजह भागे जा रहे थे।
कोरोना ने आज उन्हें, रुक कर आगे बढ़ना सिखाया है।।
जो लोग बेवजह अन्न की बर्बादी किए जा रहे थे।
कोरोना ने आज उन्हें, अन्न का सम्मान करना सिखाया है।।
प्रकृति के दुश्मनों सुधर सकते हो,तो अभी भी सुधर जाओ।
वरना कोरोना ने तो बस अभी सपना सा दिखाया है।।
- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।