Write some poetic works by yourselves!
I would love to see your work guys!
Answers
A Self-Composed Poem.
धर्म और लोग !
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धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो,
ज़रा गीता के दो श्लोक सुनाओ
या अज़ान की आवाज़ लगाओ।
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गीता क़ुरान जो लड़े नहीं कभी
रह कर साथ में,
तुम दोगे उनका साथ जिनको
लिया ना तुमने कभी हाथ में।
अपनी ऊंचाई के लिए इंसानियत
को भी ले डूबते हो,
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो।।
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कह तो दिया तुमने हिन्दू
मुस्लिम सिख ईसाई,
आपस में सब भाई भाई।
पर एक बार ज़रा खुद से पूछो,
क्या तुम इस फैसले पर खरे
उतरते हो?
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो।।
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अच्छा सच बताओ तुम्हें ज़रा भी
दया नहीं आती,
अपने बेमूल्य हित के लिए किसी की
ज़िन्दगी उजाड़ते हुए।
जिस भारत माता के लिए लड़ते हो तुम,
उसी की मिट्टी में बेकसूरों का ख़ून
मिलते हो।
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो।
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तुम्हारा धर्म तो तुम्हें प्यार बाँटना
सिखाता है ना,
फिर उसे अपने वालों पर ही क्यों
लुटाना।
यही प्यार सबके साथ दिखाओ ना,
जो ज़रुरत में है उसकी मदद करके
बताओ ना।
अपनी लोकप्रियता के लिए अपने ही
अच्छाई को मारते हो,
धर्म के नाम पर लड़ने वालो
धर्म धर्म करते हो।।
- अदिबा हसन
Women's in our society:
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Women's are great,
Always they are straight,
Some do fight,
Some do not fight.
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Some are always up-to date,
Some can't wait,
Some are quite,
Some couldn't stay quite.
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Some women's like white,
Some do not like,
Some do write,
Some get delight,
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Some stand upright.
To speak the right.
Some live to achieve things from height,
Some thinks not to lie.
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Some think to make wrong as right,
Some couldn't fight for the right,
Some are quite afraid,
Some stand upright.
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-S.Nayan shreyas