write the essye on sarkas mein two hours
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सरकस में दो घंटे
पिछले रविवार की शाम को मैं अपने मित्रों के साथ 'जेमिनी सरकस' देखने गया आजाद मैदान में एक बहुत बड़ा तंबू लगाया गया था। तंबू के प्रवेश द्वार को शानदार ही से सजाया गया था। तंबू के चारों ओर रंगबिरंगे बल्ब जगमगा रहे थे। प्रवेश द्वार पर लोगों की भारी भीड थी। टिकट के लिए लंबी कतारें लगी हुई थी। हमने भी एक कतार में खड़े रहकर टिकट खरीदे। फिर तंबू में दाखिल हुए और कुर्सियों पर बैठ गए।
घंटी बजी। स्वागत गीत के साथ सरकस के कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। गीत खत्म होते ही सरकस की एक स्वस्थ और सुंदर बालिका दौड़ती हुई आई। देखते ही देखते वह ऊँचाई पर बँधे एक मोटे तार पर चढ़ गई। अपने दोनों हाथ हवा में फैलाए हुए वह तार पर एक पहिएवाली साइकिल चलाने लगी। इसके बाद कुछ और बालिकाएँ दौड़ती हुई आई। वे ऊँचे बँधे झूलों पर अपने करतब दिखाने लगीं। बाद में कुछ घुड़सवार आए। वे सरकस के गोल घेरे में घोडे दौडाने लगे। बीच-बीच में वे भागते हए घोडों पर कूदकर चढ जाते थे। घोड़ों पर खड़े होकर हवा में हाथ लहराने लगते थे। दर्शक उनकी फुरती और साहस देखकर दंग रह जाते थे। फिर शुरू हुआ बाघ और शेर का खेल। दोनों भयानक पशु रिंग मास्टर के इशारों पर तरह-तरह के खेल दिखाने लगे। हाथियों, बंदरों और बकरियों के भी कई खेल दिखाए गए।
इतने में दो पहलवान ताल ठोंकते हुए आए। उनमें से एक ने भागकर चलती हुई मोटर साइकिल पकड़ ली और अपनी ताकत से उसे रोक दी। दूसरा पहलवान पीठ के बल जमीन पर लेट गया। उसके सीने पर लकड़ी का एक तख्ता रख दिया गया। फिर एक भारीभरकम हाथी आया। वह तख्ते के ऊपर पाँव रखकर चलते हुए गुजर गया। शारीरिक शक्ति के इन अनूठे प्रदर्शनों को देखकर दर्शक वाह-वाह' कर उठे।
विदूषकों ने अपने अजीब हावभाव और अभिनय से दर्शकों को खूब हँसाया।
सचमुच, सरकस मनोरंजन एवं ताजगी प्राप्त करने का एक अनूठा साधन है। सरकस के अद्भुत खेल दर्शकों के सारे तनाव दूर कर देते हैं। इन खेलों को देखकर लाई कि बदधि, साहस और शक्ति के बल पर मनुष्य क्या नहीं कर सकता!