Hindi, asked by anshuman11116, 4 months ago

write the paragharph on ramayan​

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Answered by bishnupriya1403
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Answered by Anonymous
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रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि थे. इसके वर्तमान में 24, 000 श्लोक तथा सात काण्ड हैं. रामायण एक उत्कृष्ट महाकाव्य हैं. सम्भवतः रामायण को ही आदर्श मानकर आचार्यों ने महाकाव्य की परिभाषा बनाई.

रामायण में भाषा की परिपक्वता तथा सौन्दर्य, छन्दों, का विलक्षण प्रयोग, अलंकारों का चमत्कारपूर्ण विन्यास तथा रसों का पूर्ण परिपाक मिलता हैं. श्रृंगार, वीर तथा करुण इन तीन प्रधान रसों का इस महाकाव्य में पूर्ण समावेश हैं.

इसमें प्रकृति वर्णन तथा चरित्र चित्रण आकर्षक तथा स्वाभाविक हैं. रामायण का काव्य रूप महाभारत से तुलना करने पर और अधिक स्पष्ट हो जाता हैं. रामायण अपने वर्तमान रूप में भी वीर काव्य हैं, किन्तु महाभारत का काव्य रूप बहुत कुछ लुप्त हो चूका हैं.

महाभारत की अपेक्षा रामायण में सौन्दर्य, चेतना तथा चरित्र चित्रण अधिक चमत्कारपूर्ण तथा प्रभावोत्पादक हैं. रामायण में उपमा, रूपक एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया हैं. वाल्मीकि की उपमा औचित्य पूर्ण तथा रसानुकूल हैं.

इनकी उपमा में अपनी विशिष्टता व चमत्कार शैली है जो अन्यत्र उप्ल्ब्धन्हीं होती, वाल्मीकि को अनुष्टुप छंद का जनक माना जाता हैं. वाल्मीकि की उपमाएं भी सुंदर तथा अनूठी हैं. अशोक वाटिका में नियम परायण तापसी सी, शोक जाल से ढकी हुई, धूम समूह में लिपटी अग्नि शिखा सी, सीता शब्द चित्र उसकी करुणा जनक दशा को दर्शाने में सक्षम हैं.

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