Chemistry, asked by luxmibenparmar, 4 months ago

Write the sentences as show in example.
उदाहरण: अहं जलं पिबामि । - माला जलं पिबति ।
१. अहं श्लोकं लिखामि । - रमेश:
२. अहं जलं आनयामि । सीता
३. अहं नृत्यामि ।
रमा

उदाहरण: मोहनः - चित्रम् मोहनस्य चित्रम् अस्ति ।
४. वृक्षः, फलम् ।
५. नरेशः, उपनेत्रम् ।
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Answered by Anonymous
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Answer:

रत्नों का ग्रहों की राशियों से केवल गहरा संबंध ही नहीं है, अपितु यदि उनका सही ढंग से चुनाव किया जा सके तो वे धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने में सक्षम होते हैं और विरोधी शक्तियों का डटकर सामना करने की शक्ति और जीवन ऊर्जा से भरपूर बनाने में सामर्थ्य देते हैं।

रत्न धारण से जो ग्रह शुभ स्थानों के स्वामी होकर अशुभ स्थानों में स्थित हो जाता है तो वह निर्बल हो जाता है तो इससे संबंधित रत्न धारण से ग्रह को शक्ति मिलती है और जो अशुभ स्थान का स्वामी हो, पाप ग्रहों की संगत में बैठा हो, उनसे देखा जाता हो या अन्य कारण से दूषित हो तो उससे संबंधित रत्न पहने का अर्थ होगा कि उसकी विघटनकारी, अमंगलकारी शक्ति को उत्प्रेरित करना है।

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