Hindi, asked by Anonymous, 1 year ago

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Ritikakinha1234: i can gave it

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Answered by Anonymous
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1)इस पंक्ति में कबीर ने व्यक्तियों की तुलना हंसों से करते हुए कहा है की जिस तरह हंस मानसरोवर में खेलते हैं और मोती चुगते हैं , वे उसे छोड़ कहीं नही जाना चाहते ठीक उसी तरह मनुष्य भी जीवन के मायाजाल में बंध जाता है और इसे ही सच्चाई समझने लगता है ।

2)यहां कबीर यह कहते हैं की प्रेमी यानी ईश्वर को ढूंढना बहुत मुश्किल है । वे उसे ढूंढ़ते फिर रहे हैं परन्तु वह उन्हें मिल नही रहा है । प्रेमी रूपी ईश्वर मिल जाने पर उनका सारा विष यानी कष्ट अमृत यानी सुख में बदल जाएगा ।

3)यहां कबीर कहना चाहते हैं की व्यक्ति को ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करनी चाहिए साधना रूपी गलीचा बिछाना चाहिए । संसार की तुलना कुत्तों से की गयी है जो आपके ऊपर भौंकते रहेंगे जिसे अनदेखा कर चलते रहना चाहिए । एक दिन वे स्वयं ही झक मारकर चुप हो जायेंगे ।

4)संत कबीर कहते हैं पक्ष - विपक्ष के कारण सारा संसार आपस में लड़ रहा है और भूल - भुलैया में पड़कर प्रभु को भूल गया है । जो व्यक्ति इन सब झंझटों में पड़े बिना निष्पक्ष होकर प्रभु भजन में लगा है वही सही अर्थों में मनुष्य है ।


Anonymous: ok.....
Answered by srikanth2716
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