write your own poem on your life in hindi
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Mera Zindagi kuch Nahi,
zab tak Mai vaisa samja,
Mera Zindagi sab kuch,
jab mai Mera pehar aage raka ,
ab tak Mai kuch Nahi,
par banunga kuch mere Zindagi mein,....
zab tak Mai vaisa samja,
Mera Zindagi sab kuch,
jab mai Mera pehar aage raka ,
ab tak Mai kuch Nahi,
par banunga kuch mere Zindagi mein,....
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एक छोटा सा लड़का - इबने इंशा
एक छोटा-सा लड़का था मैं जिन दिनों
एक मेले में पंहुचा हुमकता हुआ
जी मचलता था एक-एक शै पर मगर
जेब खाली थी कुछ मोल ले न सका
लौट आया लिए हसरतें सैकड़ों
एक छोटा-सा लड़का था मै जिन दिनों
खै़र महरूमियों के वो दिन तो गए
आज मेला लगा है इसी शान से
आज चाहूँ तो इक-इक दुकां मोल लूँ
आज चाहूँ तो सारा जहां मोल लूँ
नारसाई का जी में धड़का कहां?
पर वो छोटा-सा अल्हड़-सा लड़का कहाँ
2.गुलज़ार
एक तम्बू लगा हैं सर्कस का,
बाज़ीगर झूलते ही रहते हैं,
ज़हने खाली कभी नहीं होती।
3.सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो / निदा फ़ाज़ली
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश
हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
एक छोटा-सा लड़का था मैं जिन दिनों
एक मेले में पंहुचा हुमकता हुआ
जी मचलता था एक-एक शै पर मगर
जेब खाली थी कुछ मोल ले न सका
लौट आया लिए हसरतें सैकड़ों
एक छोटा-सा लड़का था मै जिन दिनों
खै़र महरूमियों के वो दिन तो गए
आज मेला लगा है इसी शान से
आज चाहूँ तो इक-इक दुकां मोल लूँ
आज चाहूँ तो सारा जहां मोल लूँ
नारसाई का जी में धड़का कहां?
पर वो छोटा-सा अल्हड़-सा लड़का कहाँ
2.गुलज़ार
एक तम्बू लगा हैं सर्कस का,
बाज़ीगर झूलते ही रहते हैं,
ज़हने खाली कभी नहीं होती।
3.सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो / निदा फ़ाज़ली
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
इधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलो
बने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलो
यही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाश
हिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो
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