written interview of sachin tendulkar in hindi
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here is a short interview by sachin about his movie//
सचिन, आप क्रिकेट के लेजंड माने जाते हैं। आपने अपने लिए फीचर फिल्म की बजाय डॉक्युमेंट्री ड्रामा को क्यों चुना?
यह फुल फ्लेज्ड मूवी है। इसमें मेरी पूरी जिंदगी को समेटा गया है। देखिए, एक डेस्टिनेशन पर पहुंचने के कई अलग-अलग रास्ते हो सकते हैं और मैंने अपनी जिंदगी की कहानी को कहने के लिए यह रास्ता चुना। मुझे लगा कि 24 सालों के मेरे करियर और जीवन के बारे में सभी को पता है कि मैंने ग्राउंड पर क्या किया। मगर यह कोई नहीं जानता कि जीवन के उन खास पलों में मेरे दिमाग में क्या चल रहा था। उस मानसिक हाल को लोगों तक मैं ही पहुंचा सकता हूं। मेरी जिंदगी के जो निजी पल हैं, उन्हें आप आर्टिफिशली मसाला डाल कर रीक्रिएट नहीं कर सकते। उन पर्सनल मोमेंट्स को फिल्म में मैंने जस का तस रखा है। वे मेरे परिवार का हिस्सा हैं, जो लोगों के सामने अब तक आया नहीं है। मुझे अपने परिवार के साथ के निजी पलों को पर्दे पर लाने के लिए उनकी इजाजत लेना भी जरूरी था और साथ में मैं लोगों को उन खास पलों में ले जाना चाहता हूं, जो मैंने अब तक सहेज कर रखे हैं। जैसे लोग नहीं जानते कि मेरे और अंजलि के बीच प्यार की शुरुआत कैसे हुई। मैं अपनी जिंदगी के अनछुए पहलुओं को सामने लाना हूं। यही वजह है कि वे पल जितने ऑरिजनल रहें, उतना अच्छा है।
क्रिकेट, फिल्में और राजनीति ऐसे क्षेत्र हैं, जहां कभी न कभी आपको विवादों से गुजरना ही पड़ता है, ऐसे में सचिन 24 साल के करियर में बेदाग कैसे रह पाए?
मुझे लगता है, इसमें मेरे माता-पिता के संस्कारों ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। मैं अपने पिता को देख कर बड़ा हो रहा था और मैं मानता हूं कि हम अपने पिता को देखकर ही सीखते हैं। हम जब बच्चे होते हैं तो अपने पिता को देखकर ऑब्जर्व करते हैं, मैं भी कर रहा था। मैं देखा करता था कि मेरे पिताजी एक साथ कितनी सारी जिम्मेदारियों को निभाते थे। कैसे वे तमाम दबाव झेलते थे। उनका स्वभाव और जीवन के प्रति सकारात्मक और ईमानदारी भरे नजरिए ने मुझे बहुत प्रभावित किया। उनके मूल्यों को देखकर मैं बड़ा हुआ और मुझे लगा कि एक दिन मुझे भी ऐसा ही बनना है। मुझे याद है, वे हमेशा कहा करते थे कि तुम्हारी जिंदगी में बहुत सारी चीजें होंगी। उतार-चढ़ाव होंगे। कभी शोहरत होगी, कभी नहीं, मगर एक चीज सदा तुम्हारे साथ रहेगी और वो है कि तुम कैसे इंसान हो। लोग इस बात को हमेशा याद रखेंगे कि तुम कैसे इंसान हो तो बेटा तुम अच्छे इंसान बनने की कोशिश करना। मेरी कोशिश यही रही कि मैं अपने पिता की सीख को अपनाऊं। मैंने अपने जीवन में चीजों को जटिल नहीं होने दिया। उन्हें सिंपल ही रखा।
क्रिकेट का भगवान कहलाने के बाद अब आप बॉलिवुड में भी एंट्री करने जा रहे हैं। किस तरह का कनेक्शन महसूस कर रहे हैं, बॉलिवुड के साथ?
मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं बड़े पर्दे पर आऊंगा। मैंने खुद को बड़े पर्दे पर सिर्फ तभी देखा है, जब मैं खेलते वक्त स्टेडियम में खड़ा रहता हूं। जो स्टेडियम का स्क्रीन होता है न, उसी पर देखा है अब तक खुद को। (हंसते हुए) मैंने थिअटर के स्क्रीन पर खुद की कभी कल्पना नहीं की। मगर अब यह होने जा रहा है। मैं उम्मीद करता हूं कि इस फिल्म को बनाने में हमने जितने जतन किए हैं, उसे लोग सराहें। हमने इसे ईमानदारी से निभाया है।
आपको याद है, आपने पहली बॉलिवुड फिल्म कौन-सी देखी थी?
मुझे लगता है मैंने जो पहली हिंदी फिल्म देखी थी, वह मां थी। उस फिल्म में धर्मेंद्र थे। मैं बहुत छोटा था, मगर मुझे वह फिल्म मुझे आज भी याद है।
आप अपने बच्चों अर्जुन और सारा में अपने व्यक्तित्व के कौन-से पहलू देखना चाहते हैं?
मेरे पिता ने जो मूल्य मुझे दिए, मैं वही अपने बच्चों को देना चाहूंगा। मैं अपने बच्चों से यही कहता हूं कि अपनी जिंदगी में जो भी करो बेस्ट ट्राई करो। हम तुम्हें हमेशा आधार देंगे, तुम्हारा साथ देंगे, बस तुम कोशिश करना न छोड़ना। और हां, मैं अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनने की सीख देना नहीं भूलता।
आज आप सफलता के मामले में सभी के आदर्श हैं, मगर आप भी कभी रिजेक्ट हुए होंगे। आपका पहला रिजेक्शन क्या था?
मेरा पहला रिजेक्शन मेरे लिए बहुत ही भारी था। मुझे लगा कि ये क्या हो गया! मेरे कोच ने जब पहली बार मुझे बैटिंग करते देखा तो उन्होंने कहा था कि इसे थोड़ा और वक्त चाहिए। आप इसे छह महीने बाद ले आओ। मेरा भाई भी क्रिकेट खेलता था, उसे पता था कि मेरी बैटिंग में थोड़ा-सा स्पार्क है। उसने कोच सर से अनुरोध किया और वह मान गए और उसके बाद जब मुझे बैटिंग का मौका दिया गया तो मेरी जान में जान आई।
आपकी पत्नी अंजलि ने आपको कैसे परिपूर्ण किया है?
आप सही कह रही हैं। जिस तरह क्रिकेट में आपका पार्टनर होता है, उसी तरह असल जिंदगी में भी पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक होते हैं। मैंने हमेशा कहा है कि अंजलि के साथ की पार्टनरशिप मेरे जीवन की सबसे उत्कृष्ट पार्टनरशिप रही है। मेरे जीवन में अंजलि का आना किसी वरदान से कम नहीं। मैंने और अंजलि ने जिस तरह से जीवन बिताया है, उसे मैं भगवान की देन मानता हूं। मैं अंजलि के साथ को एक अमूल्य धरोहर की तरह देखता हूं। उन्होंने मेरे लिए जितनी भी कुर्बानियां दी हैं, वे मेरे लिए बेशकीमती हैं। वह डॉक्टर थीं, मगर मेरे लिए उन्होंने करियर को छोड़ दिया। ऊंचाई पर करियर को कोई छोड़ना नहीं चाहता, मगर अंजलि ने उसे छोड़ा। वह गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं।
सचिन, आप क्रिकेट के लेजंड माने जाते हैं। आपने अपने लिए फीचर फिल्म की बजाय डॉक्युमेंट्री ड्रामा को क्यों चुना?
यह फुल फ्लेज्ड मूवी है। इसमें मेरी पूरी जिंदगी को समेटा गया है। देखिए, एक डेस्टिनेशन पर पहुंचने के कई अलग-अलग रास्ते हो सकते हैं और मैंने अपनी जिंदगी की कहानी को कहने के लिए यह रास्ता चुना। मुझे लगा कि 24 सालों के मेरे करियर और जीवन के बारे में सभी को पता है कि मैंने ग्राउंड पर क्या किया। मगर यह कोई नहीं जानता कि जीवन के उन खास पलों में मेरे दिमाग में क्या चल रहा था। उस मानसिक हाल को लोगों तक मैं ही पहुंचा सकता हूं। मेरी जिंदगी के जो निजी पल हैं, उन्हें आप आर्टिफिशली मसाला डाल कर रीक्रिएट नहीं कर सकते। उन पर्सनल मोमेंट्स को फिल्म में मैंने जस का तस रखा है। वे मेरे परिवार का हिस्सा हैं, जो लोगों के सामने अब तक आया नहीं है। मुझे अपने परिवार के साथ के निजी पलों को पर्दे पर लाने के लिए उनकी इजाजत लेना भी जरूरी था और साथ में मैं लोगों को उन खास पलों में ले जाना चाहता हूं, जो मैंने अब तक सहेज कर रखे हैं। जैसे लोग नहीं जानते कि मेरे और अंजलि के बीच प्यार की शुरुआत कैसे हुई। मैं अपनी जिंदगी के अनछुए पहलुओं को सामने लाना हूं। यही वजह है कि वे पल जितने ऑरिजनल रहें, उतना अच्छा है।
क्रिकेट, फिल्में और राजनीति ऐसे क्षेत्र हैं, जहां कभी न कभी आपको विवादों से गुजरना ही पड़ता है, ऐसे में सचिन 24 साल के करियर में बेदाग कैसे रह पाए?
मुझे लगता है, इसमें मेरे माता-पिता के संस्कारों ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। मैं अपने पिता को देख कर बड़ा हो रहा था और मैं मानता हूं कि हम अपने पिता को देखकर ही सीखते हैं। हम जब बच्चे होते हैं तो अपने पिता को देखकर ऑब्जर्व करते हैं, मैं भी कर रहा था। मैं देखा करता था कि मेरे पिताजी एक साथ कितनी सारी जिम्मेदारियों को निभाते थे। कैसे वे तमाम दबाव झेलते थे। उनका स्वभाव और जीवन के प्रति सकारात्मक और ईमानदारी भरे नजरिए ने मुझे बहुत प्रभावित किया। उनके मूल्यों को देखकर मैं बड़ा हुआ और मुझे लगा कि एक दिन मुझे भी ऐसा ही बनना है। मुझे याद है, वे हमेशा कहा करते थे कि तुम्हारी जिंदगी में बहुत सारी चीजें होंगी। उतार-चढ़ाव होंगे। कभी शोहरत होगी, कभी नहीं, मगर एक चीज सदा तुम्हारे साथ रहेगी और वो है कि तुम कैसे इंसान हो। लोग इस बात को हमेशा याद रखेंगे कि तुम कैसे इंसान हो तो बेटा तुम अच्छे इंसान बनने की कोशिश करना। मेरी कोशिश यही रही कि मैं अपने पिता की सीख को अपनाऊं। मैंने अपने जीवन में चीजों को जटिल नहीं होने दिया। उन्हें सिंपल ही रखा।
क्रिकेट का भगवान कहलाने के बाद अब आप बॉलिवुड में भी एंट्री करने जा रहे हैं। किस तरह का कनेक्शन महसूस कर रहे हैं, बॉलिवुड के साथ?
मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं बड़े पर्दे पर आऊंगा। मैंने खुद को बड़े पर्दे पर सिर्फ तभी देखा है, जब मैं खेलते वक्त स्टेडियम में खड़ा रहता हूं। जो स्टेडियम का स्क्रीन होता है न, उसी पर देखा है अब तक खुद को। (हंसते हुए) मैंने थिअटर के स्क्रीन पर खुद की कभी कल्पना नहीं की। मगर अब यह होने जा रहा है। मैं उम्मीद करता हूं कि इस फिल्म को बनाने में हमने जितने जतन किए हैं, उसे लोग सराहें। हमने इसे ईमानदारी से निभाया है।
आपको याद है, आपने पहली बॉलिवुड फिल्म कौन-सी देखी थी?
मुझे लगता है मैंने जो पहली हिंदी फिल्म देखी थी, वह मां थी। उस फिल्म में धर्मेंद्र थे। मैं बहुत छोटा था, मगर मुझे वह फिल्म मुझे आज भी याद है।
आप अपने बच्चों अर्जुन और सारा में अपने व्यक्तित्व के कौन-से पहलू देखना चाहते हैं?
मेरे पिता ने जो मूल्य मुझे दिए, मैं वही अपने बच्चों को देना चाहूंगा। मैं अपने बच्चों से यही कहता हूं कि अपनी जिंदगी में जो भी करो बेस्ट ट्राई करो। हम तुम्हें हमेशा आधार देंगे, तुम्हारा साथ देंगे, बस तुम कोशिश करना न छोड़ना। और हां, मैं अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनने की सीख देना नहीं भूलता।
आज आप सफलता के मामले में सभी के आदर्श हैं, मगर आप भी कभी रिजेक्ट हुए होंगे। आपका पहला रिजेक्शन क्या था?
मेरा पहला रिजेक्शन मेरे लिए बहुत ही भारी था। मुझे लगा कि ये क्या हो गया! मेरे कोच ने जब पहली बार मुझे बैटिंग करते देखा तो उन्होंने कहा था कि इसे थोड़ा और वक्त चाहिए। आप इसे छह महीने बाद ले आओ। मेरा भाई भी क्रिकेट खेलता था, उसे पता था कि मेरी बैटिंग में थोड़ा-सा स्पार्क है। उसने कोच सर से अनुरोध किया और वह मान गए और उसके बाद जब मुझे बैटिंग का मौका दिया गया तो मेरी जान में जान आई।
आपकी पत्नी अंजलि ने आपको कैसे परिपूर्ण किया है?
आप सही कह रही हैं। जिस तरह क्रिकेट में आपका पार्टनर होता है, उसी तरह असल जिंदगी में भी पति-पत्नी एक-दूसरे के पूरक होते हैं। मैंने हमेशा कहा है कि अंजलि के साथ की पार्टनरशिप मेरे जीवन की सबसे उत्कृष्ट पार्टनरशिप रही है। मेरे जीवन में अंजलि का आना किसी वरदान से कम नहीं। मैंने और अंजलि ने जिस तरह से जीवन बिताया है, उसे मैं भगवान की देन मानता हूं। मैं अंजलि के साथ को एक अमूल्य धरोहर की तरह देखता हूं। उन्होंने मेरे लिए जितनी भी कुर्बानियां दी हैं, वे मेरे लिए बेशकीमती हैं। वह डॉक्टर थीं, मगर मेरे लिए उन्होंने करियर को छोड़ दिया। ऊंचाई पर करियर को कोई छोड़ना नहीं चाहता, मगर अंजलि ने उसे छोड़ा। वह गोल्ड मेडलिस्ट रही हैं।
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