Biology, asked by prathmagaikwad4005, 2 months ago

यो अतीत कल्पलायम विनीत प्रार्थना यो पुनीत भावना यो अनंत साधना शांति हो और शांति हो युद्ध संधि क्रांति हो पर पर यह दिया बुझे नहीं देश पर समाज पर जो कविता का भावार्थ​

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Answered by bannybannyavvari
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Answer:

घोर अंधकार हो,

चल रही बयार हो,

आज द्वार-द्वार पर यह दिया बुझे नहीं

यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।

शक्ति का दिया हुआ,

शक्ति को दिया हुआ,

भक्ति से दिया हुआ,

यह स्वतंत्रता-दिया,

रुक रही न नाव हो

जोर का बहाव हो,

आज गंग-धार पर यह दिया बुझे नहीं,

यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है।

यह अतीत कल्पना,

यह विनीत प्रार्थना,

यह पुनीत भावना,

यह अनंत साधना,

शांति हो, अशांति हो,

युद्ध, संधि, क्रांति हो,

तीर पर, कछार पर, यह दिया बुझे नहीं,

देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है।

तीन-चार फूल है,

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