Math, asked by parigarg4504, 1 month ago

योग कविद 19 रोग निर्मानयक सहाय ता करोती अ त चित्रम रचियावा योग विषय एक श्लोक लिखत
in sanskrit​

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Answered by devindersaroha43
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Step-by-step explanation:

श्लोक के उत्तरार्ध पर यदि गौर करें तो दो बातें स्पष्ट होती हैं। पहली योग की परिभाषा एवं दूसरी योग हेतु प्रभु का स्पष्ट निर्देश। उनका उपदेश है कि ‘योगाय’ अर्थात् योग के लिए अथवा योग में, ‘युज्यस्व’ अर्थात् लग जाओ। कहने का तात्पर्य है कि ‘योग में प्रवृत्त हो जाओ’ यानि कि ‘योग करो’। अब प्रश्न यह है कि क्यूँ करें योग? इस प्रश्न का उत्तर उन्होंने श्लोक के पूर्वार्ध में दिया है कि बुद्धिमान व्यक्ति अर्थात् योगी, वर्तमान में ही अथवा इस संसार में ही ‘सुकृत’ एवं ‘दुष्कृत’ अर्थात् पुण्य एवं पाप से मुक्त हो जाता है। योग के इस हेतु को स्पष्टतया जानने के लिये, सबसे पहले यह समझना परमावश्यक है कि ‘योग क्या है’? या ‘योग किसे कहते हैं’?

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