युग्लीना का चित्र हिंदी में
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Explanation:
Euglena in hindi , यूग्लीना क्या है ? युग्लिना का वैज्ञानिक नाम , का प्रचलन अंग क्या है , संरचना , अंग के बारे में चित्र सहित वर्णन व्याख्या ? meaning in english ?
युग्लिना (Euglena)
वर्गीकरण
संघ – प्रोटोजोआ
उपसंघ – सार्कोमैस्टिगोफोरा
वर्ग – फाइटोमैस्टिगोफोरिया
गण – यूग्लीनॉइडा
कुल – यूग्लीनाइडिडा
वंश – यूग्लीना
जाति – विरिडिस
स्वभाव और आवास
युग्लिना क्लोरोफिल युक्त हरा प्रोटोजोआ है जिसे जन्तुओं और पादपों के मध्य की “संयोजक कड़ी” कहते है। यह जन्तु सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में स्वयंपोषी और सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में विषमपोषी होता है। यही कारण है इसका अध्ययन हम जन्तु और पौधों दोनों में करते है।
यह एकल और मुक्तिजीवी , स्वच्छ जलीय , कशाभिकायुक्त प्राणी है।
यह स्वच्छ जल के ऐसे तालाबों , तालाबों , तालों , खाइयों और मंद प्रवाहित धाराओं में पाया जाता है जिसमे वनस्पति और नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है।
युग्लिना विरिडिस एक छोटा , सूक्ष्मदर्शीय तर्कुरुपी जीव है।
इसका अगला सिरा गोलीय , मध्यवर्ती भाग कुछ चौड़ा तथा पिछला सिरा नुकीला होता है। अगले सिरे पर प्राय: एक कशाभ पाया जाता है जो युग्लिना का गमनांगक होता है।
अगले सिरे पर कीपनुमा कोशिकामुख पाया जाता है जो एक छोटी ग्रसनी में खुलता है और यह ग्रसनी एक बड़े से आशय में खुलती है।
आशय में बड़े कशाभ पर एक पराकशाभिका काय पाया जाता है जो लाल रंग के नेत्र से जुड़कर प्रकाश संवेदांगक का कार्य करता है।
युग्लिना के शरीर पर एक स्पष्ट , पतली , लचीली और दृढ तनुत्वक का आवरण होता है। यह तनुत्वक पतली , दृढ और कुण्डलनी के समान व्यवस्थित पट्टियों का बना होता है। उस तनुत्वक से अन्दर की ओर कोशिका द्रव्य होता है जो प्राय: अमीबा की भाँती बहि:प्रद्रव्य और अन्त:द्रव्य में विभक्त किया जा सकता है। प्राय: युग्लिना के शरीर में आशय से जुड़ा एक सघन परासरण नियंत्रण प्रदेश होता है।
इसमें एक बड़ी केन्द्रीय संकुचनशील रिक्तिका और इसके चारों ओर अनेक छोटी छोटी सहायक रिक्तिकाएं पायी जाती है। युग्लिना कई उद्दीपनों के प्रति प्रतिक्रियाएँ दर्शाता है।
प्रकाश उद्दीपनों के प्रति इसकी प्रतिक्रियाओं का सम्बन्ध इसके स्वपोषी पोषण से होता है। प्राय: युग्लिना में लैंगिक जनन का कोई प्रमाण नहीं मिलता है।
यह द्विखण्डन , बहुखण्डन और पुटिभवन द्वारा अलैंगिक जनन करता है।
युग्लिना को एक जन्तु की भाँती अध्ययन करने के लिए निम्नलिखित विशेषताओं को ध्यान में रखा जाता है –
इसकी प्लाज्मा कला के चारों ओर कोशिका भित्ति का अभाव होता है।
भोजन का संचय पैरामाइलोन के रूप में होता है।
यह जंतुओं की भांति गति और उद्दीपन प्रतिक्रियाएं दर्शाता है।
इसमें कोशिका पाचन और प्राणी समपोषी पोषण होता है।