युग्म शब्द बनाओ काम
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Explanation:
आज का युग विज्ञान का युग है। वर्तमान समय में विज्ञान ने हमें कम्प्यूटर के रूप में एक अनमोल उपहार दिया है। आज जीवन के हर क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग हो रहा है। जो काम मनुष्य द्वारा पहले बड़ी कठिनाई के साथ किया जाता था, आज वही काम कम्प्यूटर द्वारा बड़े ही आराम से किये जा रहे हैं। कंप्यूटर का उपयोग दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। कम्प्यूटर ने दुनिया को बहुत छोटा कर दिया है। इंटरनेट द्वारा गूगल, याहू एवं बिंग आदि वेबसाइट पर दुनियाभर की जानकारी घर बैठे ही प्राप्त की जा सकती है। इंटरनेट पर ई-मेल के द्वारा विश्व में किसी भी जगह बैठे व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है। इसके लिए केवल ई-मेल अकाउंट और पासवर्ड का होना आवश्यक होता है। कम्प्यूटर मनोरंजन का भी महत्वपूर्ण साधन है। इस पर अनेक खेल भी खेले जा सकते हैं। कुल मिलकर कहें तो कम्प्यूटर ने मानव जीवन को बहुत सरल बना दिया है। कम्प्यूटर सचमुच एक जादुई पिटारा है।
) वन और पर्यावरण का सम्बन्ध
संकेत-बिंदु -
वन प्रदुषण-निवारण में सहायक,
वनों की उपयोगिता,
वन संरक्षण की आवश्यकता,
वन संरक्षण के उपाय।
वन और पर्यावरण का बहुत गहरा सम्बन्ध है। प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने के लिए पृथ्वी के 33% भाग को अवश्य हरा-भरा होना चाहिए। वन जीवनदायक हैं। ये वर्षा कराने में सहायक होते हैं। धरती की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। वनों से भूमि का कटाव रोका जा सकता है। वनों से रेगिस्तान का फैलाव रुकता है, सूखा कम पड़ता है। इससे ध्वनि प्रदुषण की भयंकर समस्या से भी काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। वन ही नदियों, झरनों और अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों के भण्डार हैं। वनों से हमें लकड़ी, फल, फूल, खाद्य पदार्थ, गोंद तथा अन्य सामान प्राप्त होते हैं। आज भारत में दुर्भाग्य से केवल 23 % वन बचे हैं। जैसे-जैसे उद्योगों को संख्या बढ़ रही है, शहरीकरण हो रहा है, वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे वनों की आवश्यकता और बढ़ती जा रही है। वन संरक्षण एक कठिन एवं महत्वपूर्ण काम है। इसमें हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी पड़ेगी और अपना योगदान देना होगा। अपने घर-मोहल्ले, नगर में अत्यधिक संख्या में वृक्षारोपण को बढाकर इसको एक आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाना होगा। तभी हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ रख पाएँगे।
Answer:
हिंदी के अनेक शब्द ऐसे हैं, जिनका उच्चारण प्रायः समान होता हैं। किंतु, उनके अर्थ भिन्न होते है। इन्हे 'युग्म शब्द' कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनका प्रयोग गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। इन्हें 'युग्म शब्द' या 'समोच्चरितप्राय भित्रार्थक शब्द' कहते हैं।
हिन्दी भाषा की एक खास विशेषता है- मात्रा, वर्ण और उच्चारण प्रधान-भाषा। इसमें शब्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में परिवर्तन करने से अर्थ में काफी अन्तर आ जाता है।
अतएव, वैसे शब्द, जो उच्चारण की दृष्टि से असमान होते हुए भी समान होने का भ्रम पैदा करते हैं, युग्म शब्द अथवा 'श्रुतिसमभिन्नार्थक' शब्द कहलाते हैं।
श्रुतिसमभिन्नार्थक का अर्थ ही है- सुनने में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले।
इस बात को हम कुछ उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करेंगे।
पार्वती को भोलेनाथ भी कहा जाता है।
यह वाक्य अशुद्ध है; क्योंकि पार्वती का अर्थ है : शिव की पत्नी- शिवा। उक्त वाक्य होना चाहिए-
'पार्वती' शिव का ही दूसरा नाम है।
इसी तरह, यदि किसी मेहमान के आने पर ऐसा कहा जाय : आइए, पधारिए, आप तो हमारे श्वजन हैं।
यदि अतिथि पढ़ा-लिखा है तो निश्चित रूप से वह अपमान महसूस करेगा; क्योंकि 'श्वजन' का अर्थ है, कुत्ता। इस वाक्य में 'श्वजन' के स्थान पर 'स्वजन' होना चाहिए।
हमने दोनों वाक्यों में देखा : प्रथम में मात्रा के कारण अर्थ में भिन्नता आ गई तो दूसरे में वर्ण के हेर-फेर और गलत उच्चारण करने से। हमें इस तरह के शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
यहाँ ऐसे युग्म शब्दों की सूची उनके अर्थो के साथ दी जा रही है-
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