युग्म शब्द हिन्दी व्याकरण
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युग्म-शब्द
Yugm shabd-(युग्म-शब्द )की परिभाषा
हिंदी के अनेक शब्द ऐसे हैं, जिनका उच्चारण प्रायः समान होता हैं। किंतु, उनके अर्थ भिन्न होते है। इन्हे 'युग्म शब्द' कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनका प्रयोग गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। इन्हें 'युग्म शब्द' या 'समोच्चरितप्राय भित्रार्थक शब्द' कहते हैं।
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Explanation:
Yugm shabd-(युग्म-शब्द )की परिभाषा
हिंदी के अनेक शब्द ऐसे हैं, जिनका उच्चारण प्रायः समान होता हैं। किंतु, उनके अर्थ भिन्न होते है। इन्हे 'युग्म शब्द' कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे हैं, जिनका प्रयोग गद्य की अपेक्षा पद्य में अधिक होता है। इन्हें 'युग्म शब्द' या 'समोच्चरितप्राय भित्रार्थक शब्द' कहते हैं।
हिन्दी भाषा की एक खास विशेषता है- मात्रा, वर्ण और उच्चारण प्रधान-भाषा। इसमें शब्दों की मात्राओं अथवा वर्णों में परिवर्तन करने से अर्थ में काफी अन्तर आ जाता है।
अतएव, वैसे शब्द, जो उच्चारण की दृष्टि से असमान होते हुए भी समान होने का भ्रम पैदा करते हैं, युग्म शब्द अथवा 'श्रुतिसमभिन्नार्थक' शब्द कहलाते हैं।
श्रुतिसमभिन्नार्थक का अर्थ ही है- सुनने में समान; परन्तु भिन्न अर्थवाले।
इस बात को हम कुछ उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करेंगे।
पार्वती को भोलेनाथ भी कहा जाता है।
यह वाक्य अशुद्ध है; क्योंकि पार्वती का अर्थ है : शिव की पत्नी- शिवा। उक्त वाक्य होना चाहिए-
'पार्वती' शिव का ही दूसरा नाम है।
इसी तरह, यदि किसी मेहमान के आने पर ऐसा कहा जाय : आइए, पधारिए, आप तो हमारे श्वजन हैं।
यदि अतिथि पढ़ा-लिखा है तो निश्चित रूप से वह अपमान महसूस करेगा; क्योंकि 'श्वजन' का अर्थ है, कुत्ता। इस वाक्य में 'श्वजन' के स्थान पर 'स्वजन' होना चाहिए।
हमने दोनों वाक्यों में देखा : प्रथम में मात्रा के कारण अर्थ में भिन्नता आ गई तो दूसरे में वर्ण के हेर-फेर और गलत उच्चारण करने से। हमें इस तरह के शब्दों के प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिए, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है।