योगा द्वारा हम अपने जीवन शैली को किस प्रकार प्रभावशाली बना सकते हैं अपने विचार दीजिए
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हरि: ॐ
आज जब हम अपने घर में ही ज्यादा समय बिता रहे हैं तो मन में यह स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि ‘दिनभर क्या करें?’ ‘अपने समय का उपयोग कैसे करें?’
यह एक विशेष समय है जब हम अपनी जीवनशैली को संतुलित और व्यवस्थित करने का प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए एक यौगिक सकारात्मक दिनचर्या को अपनाना होगा जिसका प्रयोजन है :
स्वास्थ्य को सुधारना ताकि शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़े
मानसिक तथा भावनात्मक संतुलन लाकर जीवन में स्पष्टता, प्रसन्नता, सामंजस्य, संतोष, सकारात्मकता एवं रचनात्मकता को बनाए रखना
जीवन में एक आध्यात्मिक संस्कृति का विकास करना
स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने कहा है कि अपने जीवन रूपी खेत में विचार बोने से एक कर्म पैदा होता है, कर्म बोने से आदत, आदत बोने से चरित्र और चरित्र बोने से नियति पैदा होती है। उनके इस सिद्धान्त को चरितार्थ करने का यह सर्वोत्तम समय है।
इस लक्ष्य को पाने के लिए हमें अपने जीवन में संयम के सद्गुण को विकसित करना होगा। संयम का शाब्दिक अर्थ निग्रह करना या अंकुश लगाना है, लेकिन साथ ही यह एक ऐसी प्रक्रिया को दर्शाता है जिससे मानव व्यक्तित्व और जीवन के सभी आयाम संतुलित तथा सुन्दर बनते हैं। यौगिक जीवनशैली का आधार संयम ही है, जिसके साथ स्वयं को सुधारने का निरंतर प्रयास भी चलता रहता है।
हम अपना जीवन कैसे जीना चाहते हैं और अभी कैसे जी रहे हैं? अपने आपको एवं अपने जीवन को किस प्रकार बेहतर बना सकते हैं? इस विषय पर चिंतन करने के लिए लॉकडाउन का यह समय एक स्वर्णिम अवसर है। साथ ही एक आध्यात्मिक, यौगिक जीवनशैली जीने का और अपनी दिनचर्या को सुव्यवस्थित करने का सुअवसर है। यही संयम का व्यावहारिक स्वरूप है।
यदि हम इस कार्य को निष्ठापूर्वक कर सकें, अपने दोषों को पहचानकर उन्हें स्वीकार कर सकें, अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए सकारात्मक प्रयास करते रह सकें, तो यह हम सब के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन का अवसर बन जाएगा। हम अपनी व्यक्तिगत जीवनशैली को बदलकर स्वयं के साथ और अपने परिवार, समाज तथा धरती माँ के साथ सुन्दर सम्बन्ध बना सकते हैं।