युग -युग तक चलती रहे कठोर कहानी ,
रघुकुल में थी एक अभागिन रानी ,
निज जन्म -जन्म में सुने जीव यह मेरा,
धिक्कार ! उसे था महा स्वार्थ ने घेरा ,
"सौ बार धन्य वह एक लाल की माई
जिस जननी ने जना भरत सा भाई "
पागल सी प्रभु के साथ सभा चिल्लाई ,
"सौ बार धन्य वह एक लाल की माई ||"
1. रघु कुल में यह अभागिन रानी कौन थी ? *
कैकयी
सुमित्रा
उर्मिला
कौसल्या
2. किस जननी ने भरत सा भी जना ? *
कौसल्या
सुमित्रा
कैकयी
सावित्री
3. काव्यांश की भाषा कौन सी हैं ? *
ब्रज
खड़ी बोली हिंदी
मैथली
अवधी
4. प्रभु शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है ? *
राम के लिए
लक्ष्मण के लिए
भरत के लिए
किसी अन्य के लिए
5. निम्न में विशेषण शब्द कौन सा है ? *
कठोरता
अभागिन
धिक्कार
स्वार्थ
युग -युग तक चलती रहे कठोर कहानी ,
रघुकुल में थी एक अभागिन रानी ,
निज जन्म -जन्म में सुने जीव यह मेरा,
धिक्कार ! उसे था महा स्वार्थ ने घेरा ,
"सौ बार धन्य वह एक लाल की माई
जिस जननी ने जना भरत सा भाई "
पागल सी प्रभु के साथ सभा चिल्लाई ,
"सौ बार धन्य वह एक लाल की माई ||"
1. रघु कुल में यह अभागिन रानी कौन थी ? *
कैकयी
सुमित्रा
उर्मिला
कौसल्या
2. किस जननी ने भरत सा भी जना ? *
कौसल्या
सुमित्रा
कैकयी
सावित्री
3. काव्यांश की भाषा कौन सी हैं ? *
ब्रज
खड़ी बोली हिंदी
मैथली
अवधी
4. प्रभु शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है ? *
राम के लिए
लक्ष्मण के लिए
भरत के लिए
किसी अन्य के लिए
5. निम्न में विशेषण शब्द कौन सा है ? *
कठोरता
अभागिन
धिक्कार
स्वार्थ
Answers
Answer:
1• कैकयी
2•कैकयी
3•खडी बोली हिंदी
4•किसी अन्य के लिये
5•कठोरता
Answer:
कौसल्या।
Explanation:
यह कविता भगवान राम की कथा से संबंधित है। इसमें बताया गया है कि रघुकुल में एक अभागिन रानी थी जिसे स्वार्थ ने घेरा था। इस रानी का जन्म-जन्म से उसे अपनी कीमत जानने की आवश्यकता थी। इस रानी को जन्म देने वाली माँ को सभा में धन्यवाद दिया जाता है क्योंकि वह राम जैसा भाई जन्म देने वाली माँ थी। प्रभु राम के साथ सभा बैठी थी जो उस समय पागल सी हो गई थी। कविता का अर्थ है कि जिस माँ ने भरत जैसा भाई जन्म दिया, उसे सदा धन्यवाद देना चाहिए।
यह छंद तंत्र के रचयिता महाकवि कालिदास द्वारा लिखी गई कविता "अभिज्ञानशाकुन्तलम्" से ली गई है।
इस कविता में बताया गया है कि रघुकुल में एक रानी थी जिसे अभाग्यवश बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इस रानी का नाम कौशल्या था जो भगवान राम की माता थीं। उन्हें महा स्वार्थ ने घेर लिया था।
कालिदास ने इस कविता में बताया है कि इस रानी के निज जन्म-जन्म के जीव भी उनकी जिंदगी की कठिनाइयों को सहने के लिए अभिपूर्वक तैयार थे। प्रभु राम की जननी कौशल्या को सभा में अनेक बार धन्यवाद दिया गया था।
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