Hindi, asked by 10rscrate, 10 days ago

योग्य शिष्य प्राप्य का
प्रफुलित अतति र​

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Answered by llMagicalBlushll
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येन शास्त्रं च शस्त्रं च नन्दराजगता च भूः।

अमर्षेणोद्धृतान्याशु तेन शास्त्रमिदंकृतम् ॥ इति॥

इस ग्रंथ की रचना उन आचार्य ने की जिन्होंने अन्याय तथा कुशासन से क्रुद्ध होकर नन्दों के हाथ में गए हुए शस्त्र, शास्त्र एवं पृथ्वी का शीघ्रता से उद्धार किया था।

Answered by XxllAttitudeKingllxX
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येन शास्त्रं च शस्त्रं च नन्दराजगता च भूः।

येन शास्त्रं च शस्त्रं च नन्दराजगता च भूः।अमर्षेणोद्धृतान्याशु तेन शास्त्रमिदंकृतम् ॥ इति॥

येन शास्त्रं च शस्त्रं च नन्दराजगता च भूः।अमर्षेणोद्धृतान्याशु तेन शास्त्रमिदंकृतम् ॥ इति॥इस ग्रंथ की रचना उन आचार्य ने की जिन्होंने अन्याय तथा कुशासन से क्रुद्ध होकर नन्दों के हाथ में गए हुए शस्त्र, शास्त्र एवं पृथ्वी का शीघ्रता से उद्धार किया था।

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