India Languages, asked by jinglejaya2566, 1 year ago

योग्यता-विस्तारः

प्रश्न 1.
हिन्दी अर्थ-
हितोपदेश के रचयिता नारायण पण्डित हैं। हितोपदेश में भारतीय जनमानस के परिवेश से प्रभावित होने वाली कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यन्त सरल, रस से युक्त और अच्छी प्रकार से ग्रहण करने योग्य होती हैं। सभी कथाएँ परस्पर एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हितोपदेश में कथाएँ चार भागों में विभाजित हैं-
1. मित्रलाभ
2. सुहृद्भेद
3. विग्रह
4. सन्धि

Answers

Answered by Anonymous
4

Answer:

विद्यालयों में श्लोक पाठ प्रतियोगिता, नाटक प्रतियोगिता, प्रश्न मञ्च, कथाकथन, श्रुतिलेख, गीत प्रतियोगिता इत्यादि प्रतियोगिताएँ होती हैं। जब ये कार्यक्रम एक सप्ताह तक होते हैं, तो वह "संस्कृत सप्ताह’ कहा जाता है।

सुधीर-क्या ये प्रतियोगिताएँ सभी विद्यालयों में होती हैं?

जयेश- हाँ।

Answered by coolthakursaini36
0

Answer:

Explanation:

पंडित नारायण द्वारा रचित हितोपदेश मनोरंजन कारी और बच्चों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करने वाली कथाओं का संग्रह है।

एक राजा के बच्चे कुमार्गगामी हो गए थे तभी राजा ने सभी विद्वानों को बुलाया और कहा कि कोई ऐसा विद्वान है जो मेरे कुमार्गगामी बच्चों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित कर सके?

तभी नारायण पंडित ने कहा कि हे राजन् इन बच्चों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित किया जा सकता है। उन्होंने हितोपदेश की रचना की थी| हितोपदेश का अर्थ होता है हितकारी उपदेश |

 हितोपदेशमें बहुत से ऐसे दृष्टांत हैं जो मनोरंजन कहानी के साथ साथ सन्मार्ग की ओर प्रेरित करते हैं। बच्चे इन कहानियों को बड़े चाव से पढ़ते हैं और उन्हें अच्छी शिक्षा भी मिलती है। हितोपदेश के चार भेद हैं मित्रलाभ, सुहृद भेद,  विग्रह और संधि।

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