योग्यता विस्तार - यदि आपको मीरा के पदों के कैसेट मिल सखें तो अवसर मिलने पर उन्हें सुनिए।
Answers
Answer:
मीरा श्री कृष्ण की भक्त थी | उसकी भक्ति की कोई तुलना नहीं कर सकता | कृष्ण भक्ति की अनन्य प्रेम भावनाओं में अपने गिरधर के प्रेम में रंग राती मीरा का दर्द भरा स्वर अपनी अलग पहचान रखता है। कृष्ण के प्रति भक्ति-भावना मीरा में बचपन में ही हो गया था। किसी साधु से मीरा ने कृष्ण की मूर्ति प्राप्त कर ली थी।
मीरा बाई भक्तिकाल की एक ऐसी संत हैं, जिनका सब कुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। यहां तक कि कृष्ण को ही वह अपना पति मान बैठी थीं।
मीराबाई ने बहुत से दोहे और भजन लिखे ही जिस में उन्होंने कृष्ण की भक्ति क वर्णन किया है |
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरों न कोई।
जाके सिर मोर मुकट मेरो पति सोई।।
श्री कृष्ण को अपना पति कह रही हैं- उनका कहना है कि उन्होंने पूरी तरह से खुद को श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया है और श्री कृष्ण की भक्ति ही अब उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य है-
मीराबाई के पद सुनकर उनकी भक्ति देखने को मिलती है | किस तरह वह सच्चे से दिल से उनकी भक्ति करती थी |