य
के
चे
कोई लहर न रोक सकेंगी
मंजिल के दीवाने
हम
संकल्पों के हम हैं सागर
साहस के ध्रुवतारे हैं।
कभी न बाधाओं के आगे
पाँव हमारे हारे हैं।
व
तूफ़ानों को तौल चुके हम।
सब हैं जाने-पहचाने।
भाग्य हमारी मुट्ठी में है
स्वयं विधाता हम जग के।
फिर क्यों किसी आँख में आँसू
बरबस आ-आकर छलके
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Hi sorry mko hindi nhi aati hai islya mai iss ka ans nhi da skho gi
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