या कवितेचा काव्यसंग्रह-
1 भजनावली
2 ग्रामगीता
3 अनुभवसागर
4 सेवास्वधर्म
Answers
Answer:
Answer:तुकडोजी महाराज (1909 – 1968) भारत के महाराष्ट्र के एक सन्त थे। उनका मूल नाम माणिक बान्डोजी इंगळे था। वे अमरावती जिले के यावली ग्राम में एक निर्धन परिवार में जन्मे थे। वे आडकोजी महाराज के शिष्य थे।
Answer:तुकडोजी महाराज (1909 – 1968) भारत के महाराष्ट्र के एक सन्त थे। उनका मूल नाम माणिक बान्डोजी इंगळे था। वे अमरावती जिले के यावली ग्राम में एक निर्धन परिवार में जन्मे थे। वे आडकोजी महाराज के शिष्य थे।तुकडोजी महाराज एक महान व स्वयंसिद्ध संत थे। उनका प्रारंभिक जीवन आध्यात्मिक और योगाभ्यास जैसे साधनामार्गोंसे पूर्ण था। उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवनका अधिकांश समय रामटेक, सालबर्डी, रामदिघी और गोंदोडा के बीहड़ जंगलों में बिताया था।
Answer:तुकडोजी महाराज (1909 – 1968) भारत के महाराष्ट्र के एक सन्त थे। उनका मूल नाम माणिक बान्डोजी इंगळे था। वे अमरावती जिले के यावली ग्राम में एक निर्धन परिवार में जन्मे थे। वे आडकोजी महाराज के शिष्य थे।तुकडोजी महाराज एक महान व स्वयंसिद्ध संत थे। उनका प्रारंभिक जीवन आध्यात्मिक और योगाभ्यास जैसे साधनामार्गोंसे पूर्ण था। उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवनका अधिकांश समय रामटेक, सालबर्डी, रामदिघी और गोंदोडा के बीहड़ जंगलों में बिताया था।यद्यपि उन्होंने औपचारिक रूपसे बहुत ज्यादा शिक्षा नहीं ग्रहणकी थी, किंतु उनकी आध्यात्मिक भावना और उसकी संभाव्यता बहुत ही उच्च स्तरकी थी। उनके भक्ति गीतोंमें भक्ति और नैतिक मूल्योंकी बहुत ही ज्यादा व्यापकता है। उनकी खँजरी, एक पारंपरिक वाद्य यंत्र, बहुत ही अद्वितीय थी और उनके द्वारा उसे बजाया जाना अपने आपमें अनूठा था। हालांकि वह अविवाहित थे; परंतु उनका पूरा जीवन जाति, वर्ग, पंथ या धर्म से परे समाज की सेवा के लिए समर्पित था। वह पूर्णरूप से आध्यात्मिक जीवन में लीन थे। उनके द्वारा सूक्ष्मता से मनुष्यके स्वभाव का अवलोकन किया जाता था, ताकि उन्हें उत्थानके राह पर प्रवृत्त किया जा सके।
Answer:तुकडोजी महाराज (1909 – 1968) भारत के महाराष्ट्र के एक सन्त थे। उनका मूल नाम माणिक बान्डोजी इंगळे था। वे अमरावती जिले के यावली ग्राम में एक निर्धन परिवार में जन्मे थे। वे आडकोजी महाराज के शिष्य थे।तुकडोजी महाराज एक महान व स्वयंसिद्ध संत थे। उनका प्रारंभिक जीवन आध्यात्मिक और योगाभ्यास जैसे साधनामार्गोंसे पूर्ण था। उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवनका अधिकांश समय रामटेक, सालबर्डी, रामदिघी और गोंदोडा के बीहड़ जंगलों में बिताया था।यद्यपि उन्होंने औपचारिक रूपसे बहुत ज्यादा शिक्षा नहीं ग्रहणकी थी, किंतु उनकी आध्यात्मिक भावना और उसकी संभाव्यता बहुत ही उच्च स्तरकी थी। उनके भक्ति गीतोंमें भक्ति और नैतिक मूल्योंकी बहुत ही ज्यादा व्यापकता है। उनकी खँजरी, एक पारंपरिक वाद्य यंत्र, बहुत ही अद्वितीय थी और उनके द्वारा उसे बजाया जाना अपने आपमें अनूठा था। हालांकि वह अविवाहित थे; परंतु उनका पूरा जीवन जाति, वर्ग, पंथ या धर्म से परे समाज की सेवा के लिए समर्पित था। वह पूर्णरूप से आध्यात्मिक जीवन में लीन थे। उनके द्वारा सूक्ष्मता से मनुष्यके स्वभाव का अवलोकन किया जाता था, ताकि उन्हें उत्थानके राह पर प्रवृत्त किया जा सके।Explanation:
Answer:तुकडोजी महाराज (1909 – 1968) भारत के महाराष्ट्र के एक सन्त थे। उनका मूल नाम माणिक बान्डोजी इंगळे था। वे अमरावती जिले के यावली ग्राम में एक निर्धन परिवार में जन्मे थे। वे आडकोजी महाराज के शिष्य थे।तुकडोजी महाराज एक महान व स्वयंसिद्ध संत थे। उनका प्रारंभिक जीवन आध्यात्मिक और योगाभ्यास जैसे साधनामार्गोंसे पूर्ण था। उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवनका अधिकांश समय रामटेक, सालबर्डी, रामदिघी और गोंदोडा के बीहड़ जंगलों में बिताया था।यद्यपि उन्होंने औपचारिक रूपसे बहुत ज्यादा शिक्षा नहीं ग्रहणकी थी, किंतु उनकी आध्यात्मिक भावना और उसकी संभाव्यता बहुत ही उच्च स्तरकी थी। उनके भक्ति गीतोंमें भक्ति और नैतिक मूल्योंकी बहुत ही ज्यादा व्यापकता है। उनकी खँजरी, एक पारंपरिक वाद्य यंत्र, बहुत ही अद्वितीय थी और उनके द्वारा उसे बजाया जाना अपने आपमें अनूठा था। हालांकि वह अविवाहित थे; परंतु उनका पूरा जीवन जाति, वर्ग, पंथ या धर्म से परे समाज की सेवा के लिए समर्पित था। वह पूर्णरूप से आध्यात्मिक जीवन में लीन थे। उनके द्वारा सूक्ष्मता से मनुष्यके स्वभाव का अवलोकन किया जाता था, ताकि उन्हें उत्थानके राह पर प्रवृत्त किया जा सके।Explanation:this is your answer.
Answer:
*या कवितेचा काव्यसंग्रह -*
1️⃣ भजनावली
2️⃣ ग्रामगीता
3️⃣ अनुभवसागर
4️⃣ सेवास्वधर्म