या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसारौं॥
रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं॥
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( क ) कवि कृष्ण का सानिध्य पाने के लिए किन - किन भैतिक सुखों का त्याग करने को तैयार है ?
( ख ) कवि ब्रज के वन , बाग और तालाब को क्यों निहारना चाहता है ?
( ग ) कवि ने काव्यांश में कितनी सिद्धियों की चर्चा की है नाम लिखिए ।
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( क ) कवि कृष्ण का सानिध्य पाने के लिए किन - किन भैतिक सुखों का त्याग करने को तैयार है ?
( ख ) कवि ब्रज के वन , बाग और तालाब को क्यों निहारना चाहता है ?
( ग ) कवि ने काव्यांश में कितनी सिद्धियों की चर्चा की है नाम लिखिए ।
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( क ) कवि कृष्ण का सानिध्य पाने के लिए किन - किन भैतिक सुखों का त्याग करने को तैयार है ?
( ख ) कवि ब्रज के वन , बाग और तालाब को क्यों निहारना चाहता है ?
( ग ) कवि ने काव्यांश में कितनी सिद्धियों की चर्चा की है नाम लिखिए ।
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कवि ने काव्यांश में कितनी सिद्धियों की चर्चा की
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