यौनारम्भ एवं प्यूबर्टी के समय किशोर बालक बालिकाओं के शरीर में होने वाले परिवर्तन का वर्णन करें।
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किशोरावस्था के दौरान लड़कों और लड़कियों के शारीरिक विकास में काफी अंतर पाया जाता है जो निम्न प्रकार के होते हैं।
लड़कों की तुलना में लड़कियों में विकास तेजी से होता है लेकिन उनके विकास की दर लड़कों से जल्दी समाप्त भी हो जाती है यानि कि लड़कों से दो साल पहले हीं उनका बढ़ना बंद हो जाता है । इसलिए लड़कों से दो साल पहले हीं अपनी
व्यस्क जैसी ऊंचाई और वजन पा लेते हैं ।
किशोरावस्था के बाद लड़कों की ऊंचाई और वजन लड़कियों की तुलना में अधिक होती है ।
सेक्स (यौन ) के मामले में लड़कियों में लड़कों से पहले हीं परिपक्वता आ जाती है ।
बचपन से हीं लड़कियों के कुल्हे लड़कों से ज्यादा चौड़े होते हैं जो किशोरावस्था में और ज्यादा फ़ैल जातें हैं और लोगों को ये फैलाव नजर आने लगता है । लड़कियों की तुलना में लड़कों की भुजाएं और मजबूत और सख्त हो जाती हैं तथा उनके कंधे और सीना चौड़े हो जाते हैं ।
किशोरावस्था के दौरान और उसके बाद लड़कों की ताकत और शक्ति लड़कियों की तुलना में ज्यादा बढ़ जाती है और ये ताकत आगे बरक़रार रहती है ।
किशोरावस्थ के बदलाव
किशोरावस्था में बच्चों के शरीर का विकास होने लगता है। किशोरावस्था के दौरान आपके बच्चे यौन सम्बन्धी मामलों में परिपक्व होने लगते हैं । लड़कियों के स्तन का विकास होने लगता है और उनकी माहवारी शुरू हो जाती है तथा लड़कों के लिंग और अंडकोष बढ़ने लगते हैं । इस उम्र में अगर आपकी बेटी किसी लड़के के साथ सहवास करती है तो वह गर्भवती होने की क्षमता रखती है और अगर आपका लड़का किसी लड़की के साथ सहवास करता है तो वह उस लड़की को गर्भवती कर सकता है । ऐसे में उनके अच्छे एवं सुरक्षित स्वास्थ्य के लिए यौन शिक्षा जरूरी है । आपके बच्चों को सेक्स से सम्बंधित सही जानकारी होनी चाहिए जैसे सुरक्षित सेक्स क्या है और इसे क्यों अपनाया जाता है , स्त्रियाँ गर्भवती कैसे होती हैं और गर्भावस्था के दौरान क्या -क्या सावधानियां बरतनी चाहिए , गर्भ कैसे रोका जाता है यानि गर्भनिरोधक क्या होता है, परिवार नियोजन क्या होता है , सुरक्षित और असुरक्षित सेक्स क्या होता है , और असुरक्षिक सेक्स से कौन कौन
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