यूरोप के प्रभाव के कारण आज गुरु-शिष्य संबंधों में क्या अंतर आया है?
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प्राचीन भारत में विधालय मंदिर के समान माने जाते थे | शिक्षा देना एक आध्यात्मिक कार्य था | पैसे देकर शिक्षा खरीदी जाती थी | शिष्य पुत्र से अधिक प्रिय होते थे | परंतु वर्तमान भारत में शिक्षा व्यावसायिक हो गई है । गुरु वेतनभोगी हो गए है | विधार्थी शुल्क देकर शिक्षा प्राप्त करते है | आज का शिष्य गुरु में परमेश्वर का रूप नही देखता | इस प्रकार यूरोप के प्रभाव के कारण आज गुरु शिष्य संबंधो में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है |
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