History, asked by anshumanp698, 2 months ago

यूरोप में पूंजीवाद का उदय एवं विकास के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिये ?​

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Answered by maitriaraskar
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Answer:

पूंजीवाद स्व-हित, तर्कपूर्ण प्रतियोगिता स्व-नियंत्रित बाजार और निजी संपत्ति में विश्वास रखता है । पूंजीवादी विचारधारा से प्रेरित समाज में प्रभावशाली वर्ग निजी संपत्ति पर अपना नियंत्रण कायम करके उत्पादन के प्रमुख साधनों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लेता है ।चूंकि पूंजी पर निजी स्वामित्व कायम हो जाता है इसलिए लाभ-जनित प्रक्रियाओं में निवेश का उद्देश्य प्रबल रहता है । रसेल ने पूंजीवाद की व्याख्या इस प्रकार की है – व्यक्तिवाद और स्वतंत्रता की एक विशिष्ट अवधारणा पूंजीवादी विचारधारा के हमेशा से प्रमुख तत्व रहे हैं । व्यक्तिवाद और स्वतंत्रता की पूंजीवादी अवधारणा आपस में जुड़ी हुई हैं ।

अभी तक समाज के किसी भी रूप में व्यक्तिवाद का मूल्य इतना प्रबल नहीं था । व्यक्तिवाद की धारणा पूंजीवादी संदर्भ में बेहतर ढंग से कार्य करती है क्योंकि एक बाजार-समाज श्रमिकों सहित उत्पादन की सभी इकाइयों की गतिशीलता को प्रोत्साहित करता है ।

एक व्यक्ति सामूहिक दृष्टि से नहीं बल्कि व्यक्तिगत दृष्टि से हित पूर्ति चाहता है । उदारवादी सामान्यत: बाजार व्यवस्था को स्वीकार करते हैं पर उनका तर्क है कि राज्य नियंत्रण से मुक्त-बाजार में पूंजीवादी बेहतर ढंग से कार्य करेगा । सकट से बचने के लिए राज्य का नियंत्रण आवश्यक है ।

उपरोक्त अनुच्छेद में हमने देखा कि स्वतंत्रता वह महत्त्वपूर्ण कारक है जिस पर समग्र पूंजीवादी निर्भर करता है । समय की बदलती जरूरतों के साथ स्वतंत्रता का स्तर अलग-अलग हो सकता है जिसे इस खंड के अगले भाग में स्पष्ट किया गया है । आगे बढ़ने से पूर्व संदर्भगत पृष्ठभूमि के निर्माण के लिए उत्पादन के साधनों की पूंजीवादी विचारधारा की उत्पत्ति पर विचार करना महत्वपूर्ण है ।

पूंजीवाद की उत्पत्ति (Origin of Capitalism):

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पूंजीवादी समाजों का उदय यूरोप और ग्रेट ब्रिटेन के साथ कई देशों में तेरहवीं सदी से ही शुरू हो गया था । अपनी तीन शताब्दियों की विकास प्रक्रिया में इसने पूरा आकार ले लिया था, जिसका अर्थ यह था कि सामती संरचना बिखर रही थी। ऐसा उन शहरों में हुआ जो पूंजीवादी गतिविधियों के केंद्र के रूप में उभर रहे थे ।

रोमन सभ्यता की समाप्ति के बाद बड़ी संख्या में शहरों का आकार और क्षेत्रफल घट गया था। हालांकि, कुछ व्यापारिक केंद्र अभी भी मौजूद थे । रसेल के अनुसार- यूरोप और ग्रेट ब्रिटेन में तेरहवीं सदी तक पूंजीवादी समाजों का विकास प्रारंभ हो गया था ।

हालांकि, वैश्विक स्तर पर औद्योगीकरण का सफाया करने वाले वैश्वीकरण के कारण अनेक प्रकार के पूंजीवादी मॉडलों का दायरा सिमट गया है । जैसाकि मार्क्स ने कहा था कि विश्व बाजार के शोषण स्वरूप बुर्जुआ वर्ग सभी राष्ट्रों को उत्पादन की बुर्जुआवादी प्रणाली अपनाने को बाध्य करेगा ।

अन्य शब्दों- में यह अपनी छवि से मिलते-जुलते विश्व का निर्माण करेगा । तब मनुष्य जीवन की असली परिस्थितियो और अपने संबंधों का सामना करेगा । हालांकि इस बात का वर्णन कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो में बहुत समय पहले हुआ था पर समकालीन समय में भी इसकी प्रासंगिकता है ।

Answered by Jasleen0599
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यूरोप में पूंजीवाद का उदय एवं विकास के प्रमुख कारण

  • इससे पूरे यूरोप में सामंतवाद के खंडहरों पर आधुनिकता का उदय हुआ। आर्थिक: पुनर्जागरण की शुरुआत में, व्यापार और वाणिज्य कारकों का विशेष महत्व रहा है। भूमध्यसागरीय स्थान का लाभ उठाते हुए, इटली जैसे देश में व्यापार और वाणिज्य फला-फूला। परिणामस्वरूप, मुद्रा अर्थव्यवस्था, व्यापारी वर्ग और शहरों का उदय हुआ।
  • पूंजीवाद स्व-हित, तर्कसंगत प्रतिस्पर्धा, आत्म-नियंत्रित बाजारों और निजी संपत्ति में विश्वास करता है। पूंजीवादी विचारधारा से प्रेरित समाज में, प्रमुख वर्ग निजी संपत्ति पर अपना नियंत्रण स्थापित करके उत्पादन के मुख्य साधनों पर अपना आधिपत्य स्थापित करता है।
  • चूंकि पूंजी का निजी स्वामित्व स्थापित हो गया है, इसलिए लाभ उत्पन्न करने वाली प्रक्रियाओं में निवेश करने का उद्देश्य प्रबल होता है। रसेल ने पूंजीवाद का वर्णन इस प्रकार किया है - व्यक्तिवाद और स्वतंत्रता की एक विशिष्ट अवधारणा हमेशा पूंजीवादी विचारधारा के प्रमुख तत्व रहे हैं। व्यक्तिवाद और स्वतंत्रता की पूंजीवादी अवधारणा आपस में जुड़ी हुई है।
  • अभी तक व्यक्तिवाद का मूल्य समाज के किसी भी रूप में इतना मजबूत नहीं था। व्यक्तिवाद की अवधारणा पूंजीवादी संदर्भ में सबसे अच्छा काम करती है क्योंकि एक बाजार समाज श्रमिकों सहित उत्पादन की सभी इकाइयों की गतिशीलता को प्रोत्साहित करता है।

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