यारक
श्न.4 रुपा की कड़वी बातें सुनकर काकी ने क्या किया?
श्र.5 लड़के काकी को किस परकार सताया करते थे और
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- 4, बैठकर हाथों के बल सरकती हुई बड़ी कठिनाइयों से कड़ाह के पास जा बैठीं। उन्हें इस तरह कड़ाह के पास बैठी हुई देखकर रूपा के क्रोध की सीमा न रही। उसने सबके सामने बूढ़ी काकी को खूब खरी-खोटी सुनाई। उसे सुनकर बूढ़ी काकी रेंगती सरकती हुई अपनी कोठरी में चली गई।
- लड़को को बुड्ढों से स्वाभाविक विद्वेष होता ही है और जब फिर माता-पिता का रंग देखते तो वे बुढ़ि काकी को और भी सताया करते। कोई चुटकी काट कर भागता, कोई उन पर पानी की कुल्ली कर देता। काकी चीख मारकर रोती, पर यह बात प्रसिद्ध थी कि वे केवल खाने के लिए रोती हैं। अतः उनके संताप और आर्तनाद पर कोई ध्यान नहीं देता था।
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