Hindi, asked by shama1982parveen, 4 months ago

ये सब संकेत की भाषा है। इसका प्रयोग कभी-कभी किया जाता है। अधिकतर हम अपनी बात बो
लिखकर अभिव्यक्त करते हैं। अत:
मन के विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करने का साधन भाषा कहलाता है।
भाषा' शब्द भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - बोलना।
जो ध्वनि-संकेत हमारे मुख से किसी भाव या विचार को प्रकट करने के लिए निकलते हैं, वे भाषा कहला
ये ध्वनि-संकेत हर भाषा में खास अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं अर्थात हर भाषा के ध्वनि-संकेतों का अलग
अर्थ होता है।
जैसे-हिंदी में जल या पानी कहेंगे तो अंग्रेज़ी में वॉटर।
हर भाषा में कहे गए ध्वनि-संकेत अलग-अलग अर्थ रखते हैं।
भाषा के दो रूप होते हैं-
मौखिक (Oral
for Written
मौखिक
जब हम अपने मन के विचारों को बोलकर प्रकट करते हैं तो उसे मौखिक भाषा कहते है।
लिखित
जब हम अपने मन के विचारों को लिखकर अभिव्यक्त करते है तो उसे लिखित भाषा कहते​

Answers

Answered by Sasmit257
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Explanation:

बात यह थी कि वह आदमी उन बच्चों को कुछ बोल नहीं रहा था । संयोग से किसी भले

आदमी ने गाँव के बच्चों को उसपर पत्थर फेंकते हुए देख लिया । जब वह भला आदमी उस आदमी के करीब गया

उसके चेहरे पर मौजूद खोएपन के भाव के बावजूद उसे उस में गरिमा के चिह्न दिखे । 'यह आदमी पागल नहीं हो सब संकेत की भाषा है। इसका प्रयोग कभी-कभी किया जाता है। अधिकतर हम अपनी बात बो

लिखकर अभिव्यक्त करते हैं। अत:

मन के विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करने का साधन भाषा कहलाता है।

भाषा' शब्द भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - बोलना।

जो ध्वनि-संकेत हमारे मुख से किसी भाव या विचार को प्रकट करने के लिए निकलते हैं, वे भाषा कहला

ये ध्वनि-संकेत हर भाषा में खास अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं अर्थात हर भाषा के ध्वनि-संकेतों का अलग

अर्थ होता है।

सकता' - उसने सोचा । गाँव के उस आगंतुक भले व्यक्ति ने उस आदमी से उसका नाम - पता पूछा, पर वह कोई उत्तर

नहीं दे सका । वह केवल इतना बोल पाया, “शायद मैं खो गया हूँ !'' यह सुनते ही गाँव के उस भले व्यक्ति ने निश्चय

किया कि वे सब उसे 'खोया हुआ आदमी' कहकर बुलाएँगे।

खोया हुआ आदमी इतना खोया था, इतना खोया था कि उसकी पूरी स्मृति का लोप हो चुका था । उसके जहन से

उसका नाम और पता पूरी तरह खो चुके थे । न उसे अपनी जाति पता थी, न अपना धर्म ।

Answered by Pranayennarapu
0

Answer:

की भाषा है। इसका प्रयोग कभी-कभी किया जाता है। अधिकतर हम अपनी बात बो

लिखकर अभिव्यक्त करते हैं। अत:

मन के विचारों को बोलकर या लिखकर प्रकट करने का साधन भाषा कहलाता है।

भाषा' शब्द भाष् धातु से बना है, जिसका अर्थ है - बोलना।

जो ध्वनि-संकेत हमारे मुख से किसी भाव या विचार को प्रकट करने के लिए निकलते हैं, वे भाषा कहला

ये ध्वनि-संकेत हर भाषा में खास अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं अर्थात हर भाषा के ध्वनि-संकेतों का अलग

अर्थ होता है।

जैसे-हिंदी में जल या पानी कहेंगे तो अंग्रेज़ी में वॉटर।

हर भाषा में कहे गए ध्वनि-संकेत अलग-अलग अर्थ रखते हैं।

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