येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मृत्युलोके भुवि भारभूताः, मनुष्यरुपेण मृगाश्चरन्ति।।1।। ka bhavarth likhiye
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हिन्दी भावार्थ:
जिन लोगों के पास न तो विद्या है, न तप, न दान, न शील, न गुण और न धर्म।
वे लोग इस पृथ्वी पर भार हैं और मनुष्य के रूप में मृग/जानवर की तरह से घूमते रहते हैं।
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जिसके पास ना विद्या है ना तब है ना ज्ञान है वह जीवित होते हुए भी इस धरती में मुर्दों के समान है
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