यात्री का मन संघर्ष से भरा था। वह अपना संघर्ष डायरी में
लिख रहा है। वह डायरी लिखें।
• असलम की मृत्यु की खबर
असलम के प्रति अपना व्यवहार
हमदर्दी का अभाव
पश्चाताप से उत्पन्न अनुताप
डायरी की परख, मेरी ओर से
घटना की सूचना है।
• संवेदना की अनुभूति है।
आत्मसंघर्ष की अभिव्यक्ति है।
आत्मपरक शैली है।
Answers
डायरी...
आज मेरे लिए बड़ा मानसिक संघर्ष का दिन है। मेरा रिक्शेवाला असलम की मृत्यु का समाचार सुनकर मैं बेचैन हो उठा। मुझे असलम के प्रति अपनी हमदर्दी के अभाव का अहसास हुआ। मेरा दिल पश्चाताप से उत्पन्न अनुताप से भर गया है। नटराज टाकीज़ के पास की चढ़ाई पार करते समय मुझे असलम की रिक्शे से उतरना था। मैं नहीं जानता था कि असलम के गुर्दों में खराबी थी। देखने में मजबूत असलम से मैने हमदर्दी वाला व्यवहार नही किया था। मैं अपनी व्याकुलता कैसे दूर करूं।
असलम के प्रति मेरी श्रद्धांजलि, हे भगवान! मुझे क्षमा करें। भगवान मुझे सुकून प्रदान करें।
असलम की मृत्यु की खबर....
असलम की मृत्यु की खबर यात्री अपनी पत्नी को एक वार्तालाप में देता है। पत्नी उसे परेशान देखकर परेशानी का कारण पूछती है, तो यात्री बताता है कि एक रिक्शावाला, जिसका नाम असलम है, उसकी मृत्यु हो गई। पत्नी पूछती है कैसे? तो यात्री बताता है कि उसके दोनों गुर्दों में खराबी थी। मैंने यह अनजाने में उससे रिक्शा चलवाया। मुझसे गलती हो गई, अब मैं पश्चात्ताप में हूँष तब पत्नी कहती है कि असलम के परिवार की मदद करके आप अपने पश्चात्ताप का प्रायश्चित कर लेना।
असलम के प्रति अपना व्यवहार...
यात्री स्वयं को असलम का अपराधी मानता है और वह असलम के प्रति स्वयं द्वारा दिखाई गई उपेक्षा और उस वजह से उसकी मृत्यु के कारण पश्चात्ताप की स्थिति में है।
हमदर्दी का अभाव...
यात्री लिखता है.. कि सालों के बाद मुझे उस दिन की याद आती है, जब असलम नाम का रिक्शावाला मुझे दफ्तर ले जाता था। एक दिन उसके साथी रिक्शे वाले ने मुझे बताया कि असलम मर गया। उसके दोनों गुर्दे खराब थे, डॉक्टर ने उससे रिक्शा चलाने के लिए मना किया था। यह बात मुझे मालूम नहीं थी और मैं नियमित रूप से असलम से रिक्शा चलवाता रहा। मैंने उसकी बीमारी में भी रिक्शा चलवा कर उसे और तकलीफ में डाला। मैंने अक्सर रिक्शा चलाते समय असलम को तकलीफ में देखा था। वो कभी-कभी कराह उठता था और अपना पेट पकड़ लेता था। दाहिना हाथ गद्दी पर जमा कर बड़ी कठिनाई से रिक्शा खींचथा था। वह बुरी तरह हांफ जाता था। उसके सिर पर पसीने की बूंदें छलक उठती थीं। लेकिन मेरा व्यवहार असलम के प्रति हमदर्दी वाला नहीं था। आज कई सालों बाद मुझे असलम की उस दिन की अवस्था की याद आती है और मुझे अपने मन में बेहद गहन पश्चाताप होता है। उस पश्चाताप के कारण उत्पन्न अनुताप से आज मेरा दिल जल रहा है, और मैं असलम से क्षमा याचना के रूप में उसको श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूँ।
पश्चात्ताप से उत्पन्न अनुताप...
पश्चात्ताप से उत्पन्न अनुताप के कारण यात्री अपने मित्र से इस संबंध में वार्तालाप करता है। मित्र उससे उसकी उदासी का कारण पूछता है, तब यात्री बताता है कि उसके बिना हमदर्दी वाले व्यवहार के कारण उसके रिक्शेवाले असलम की मृत्यु हो गई और इसका उसे बहुत पछतावा हो रहा है। तब यात्री का मित्र उसे कहता है, कि पश्चात्ताप से उत्पन्न इस अनुताप के निवारण के लिए आप असलम के परिवार के लिए कुछ अच्छा कर देना। यात्री उससे सहमत हो जाता है।
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