यात्रा और यात्री poem written by हरिवंशराय बच्चन meaning of everyline
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यात्रा और यात्री कविता का अर्थ...
संदर्भ — यह कविता हिंदी के जाने-माने कवि हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी गई है। इस यात्रा में कवि ने जीवन रूपी यात्री को निरंतर चलने रहने के लिए प्रेरित किया है।
भावार्थ — कवि कहता है, हे यात्री जीवन के इस सफर में तुझे हमेशा चलते ही रहना है। जब तक तेरी सांस चल रही है, चलना तेरा धर्म है, चलना तेरा कर्म है। तुझे रुकना नहीं है।
अपने चारों तरफ देख मुसाफिर आसमान में तारे चल रहे हैं। बादल कोई प्यारा सा गीत गाकर निरंतर बहते जा रहे हैं। शून्य में कोई मधुर स्वर भी गुंजायमान होकर निरंतर चलते जा रहा है। तेरे पांव के नीचे की जो जमीन है, वह भी स्थिर नहीं है, वह भी निरंतर चल रही है। ये प्रकृति बड़ी चंचल है, प्रकृति का हर एक कण गतिमान है।
इस धरती पर जितने भी तत्व हैं, कोई स्थिर नहीं है सब निरंतर चल रहे हैं। तेरे चारों तरफ ऐसी अनेक शक्तियां हैं, जो तुझे आगे बढ़ते रहने के लिए दबाव डाल रही हैं। तू एक स्थान पर नही रुक सकता, तुझे अपना अपना स्थान छोड़ना ही पड़ेगा। तुझे आगे चलना ही पड़ेगा। जब तक तेरी सांस है तुझे चलना ही पड़ेगा।
तुझे अपने पैरों में पड़े छाले की परवाह नहीं करनी है, क्योंकि जिन लोगों ने छालों की परवाह की है वह अपनी मंजिल को नहीं पा सकते। इसलिए तुझे छालों की परवाह किये बिना निरंतर चलना पड़ेगा। हो सकता है तुझे आगे मखमली घास भी मिले, तो वहां पर दो पल के लिए तो सुकून से बैठ जाना। जहां तुझे हरियाली छांव मिले, वहां पर दो पल के लिए सुकून से विश्राम कर लेना। लेकिन फिर तुझे आगे उठकर खड़ा होना होगा और चलना पड़ेगा जब तक तेरी सांस हैं।
इस यात्रा में तेरी अनेक परीक्षाएं होंगी। अनेक तरह के तुझे लालच मिलेंगे। लेकिन तुझे अपने मन को नहीं डिगाना है। तुझे अपनी कमजोरियों पर विजय पाकर आगे बढ़ते जाना है। जब तक सांसे तुझे चलते ही रहना है।
जीवन की राह में तेरे रास्ते में अनेक काटे आएंगे और तेरी चलने की गति को रोकने की कोशिश करेंगे। तब यही कांटे चुभकर तुझे तेज चलते रहने के लिए प्रेरित करेंगे ताकि तू जल्दी-जल्दी इनसे दूर हो सके। तेरा ऊंचा तेरा साहस ही तेरा सहारा बनेगा। तुझे निरंतर चलते रहना है, जब तक तेरी सांस है।
सूरज को देख जिसने अपने कर्म की खातिर हंसना भुला दिया। चंद्रमा ने मुस्कुराना भुला दिया। सब अपने कर्मों में लीन है और निरंतर चलते जा रहे हैं। तुझे भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे चलते रहना है।
तू कहीं भी रुकने का कहीं पर आराम करने का, कहीं पर बैठ जाने का बहाना मत खोज। तेरे हृदय में जो कुछ पाने की आग लगी है। तुझे उस आग को अपनी मंजिल तक पहुंचाना है, तुझे निरंतर चलते जाना है , जब तक तेरी सांस है।
हर बाधा को पार करके जीवन के इस पथ पर तुझे निरंतर चलते जाना है। यही तेरा पुरुषार्थ है। यही मानव की जीत है। तुझे निरंतर चलकर अपने सपनों को पूरा करना है। अपने लक्ष्य को पाना है। झूठ के आवरण से निकलकर तुझे सच को पाना है। जब तक तेरी सांस है, तुझे निरंतर चलते जाना है।