'यात्रावृतान्त' के बारे मे सब अनुच्छेद
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प्रस्तावना
यात्रा करने से मनोरंजन होता है । जीवन स्वयं एक यात्रा है। इस यात्रा का जितना अंश यात्रा में बीते, वही हितकर है। यात्रा करने से मनोरंजन के साथ-साथ अन्य कई प्रकार के लाभ भी होते है। बाहर जाने के कारण साहस, स्वावलम्बन , कष्ट सहिष्णुता की क्रियात्मक शिक्षा मिलती है।
परस्पर सहयोग की भावना बढ़ती है। निराश जीवन में आशा का संचार हो जाता है, अनुभव की वृद्धि होती है। इस प्रकार यात्रा करने का जीवन में अत्यधिक महत्त्व है।
यात्रा का आरम्भ
ग्रीष्मावकाश हो चुका था। मेरा मित्र मोहन अपने पिताजी के साथ शिमला जाना चाहता था। उसने मुझसे भी चलने का आग्रह किया। मैंने जाने के लिए पिताज़ी की आज्ञा प्राप्त की।
सब तैयारी पूर्ण हो जाने पर हम 20 जुलाई को मेरठ से शाम को 5 बजे वाली गाड़ी से शिमला के लिए चले। रास्ते में मुजफ्फरनगर, सहारनपुर आदि स्टेशनों को पार करती हुई हमारी गाड़ी रात्रि में अम्बाला पहुँची।