यात्रा वृत्तांत "साना साना हाथ जोड़ि" पाठ के आधार पर सिक्किम / उत्तराखंड का जन- जीवन,धर्म, त्योहार , रीति रिवाज तथा भूगोल का चित्र सहित
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यात्रा वृत्तांत "साना साना हाथ जोड़ि" पाठ के आधार पर सिक्किम / उत्तराखंड का जन- जीवन,धर्म, त्योहार , रीति रिवाज तथा भूगोल का चित्र सहित
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वनिता की ममता न हुई, सुत का न मुझे कुछ छोह हुआ,
ख्याति, सुयश, सम्मान, विभव का, त्यों ही, कभी न मोह हुआ।
जीवन की क्या चहल पहल है, इसे न मैंने पहचाना,
सेनापति के इक इशारे पर मिटना केवल जाना।
मसि की तो क्या बात? गली की ठिकरी मुझे भुलाती है,
जीते जी लड़, मरूं, मरे पर याद किसे फिर आती है?
जग भूले, पर मुझे बस सेवा धर्म निभाना है,
जिसकी है यह देह, उसी में इसे मिला मिट जाना है।
सैनिक को किसका छोह प्राप्त नहीं हुआ?
सुत का
विभव का
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