CBSE BOARD X, asked by shaikhfaiz73680, 3 months ago

यंत्रमानव रोबो मानसाला पूरक आहे पर्याय नाही या विधान ना बाबत तुमसे विचार लिहा​

Answers

Answered by Srimi55
12

इस कोरोना काल में कई नए नए शब्दों का ईजाद हो रहा है। इनसे हम रोज रूबरू हो रहे हैं। इन शब्दों को देखने से यह बात ध्यान में आई किये सब अंग्रेजी शब्द जिनका उपयोग वर्तमान में धड़ल्ले से हो रहा है, क्या इनके हिंदी शब्द नहीं हैं? जिनका अर्थ समान व सामान्य रूप से वही समझा जा सके? वैसे भी आज के जमाने में “शुद्धता“ कहां रह गई है? 'मिश्रण (मिलावट) का जमाना है। इसी कारण हिंदुस्तान के नागरिकों के जीवन में ज्यादातर अंग्रेजी मिश्रित हिंदी का प्रयोग काफी समय से बहुत ज्यादा में चलन में है

कोरोनाकाल में हिंदी प्रेमी बुद्धिजीवियो व साहित्यकारों का ध्यान भी शायद उक्त तथ्य व स्थिति की ओर नहीं गया है। लंबे समय से प्रचलित अंग्रेजी शब्दों के बाबत फिलहाल मुझे कुछ नहीं कहना है। लेकिन जो नए शब्द अभी के इस कोरोना काल के चलते लॉक डाउन मे चलायमान हैं, उन पर प्रत्येक हिंदी भाषा प्रेमी व्यक्ति को जरूर ध्यान देने की आवश्यकता है। आज यदि हम इन अंग्रेजी शब्दों जिनका उल्लेख मैं आगे करने जा रहा हूं उनके बदले हिंदी शब्दों को प्रचलन में तथा उपयोग में नहीं लाते है, तो वे सब हमारे जीवन की दैतन्दित आदत मे शुमार होकर हिन्दी भाषा के अंग बन जाएगें। इस तरह कुछ समय के पष्चात इस बात के ध्यान मे आने पर लेन पर फिर इन अंग्रेजी शब्दों की जगह हिंदी शब्दों का प्रयोग जब हम करेगें तो वे शब्द निश्चित रूप से हमे एक सामान्य हिन्दी बोलचाल के शब्द नहीं लगेगें। वे हमें क्लिष्ट महसूस होंगे और तब हमे उन्हें अपने जीवन में अंगीकार करना कठिन होगा। इसलिए मेरा समस्त हिंदी, विज्ञ प्रेमी व साहित्यकारों से अनुरोध है कि वे इस स्थिति पर गंभीरता से विचार करें। ठीक उसी प्रकार जैसे पूराने बीमार को सुधारने के बदले हम नये बीमार न बनें। इसी बात पर ध्यान देना हैं। तभी हम इस पुरानी बीमारी को सुधार पायेगें। आइए अब हम उन अंग्रेजी शब्दों पर विचार करें जो इस कोरोना काल में बहुतायत से हम सभी के दैनन्दिन उपयोग में समा गए हैं। लॉक डाउन, हॉटस्पॉट, बफर जोन, क्वोरंटीन, सोशल डिस्टेंसिंग, ह्यूमन डिस्टेंस/इिस्टेंसिंग सेनिटाइजेशन जैसे अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग इस समय धड़ाके से किया जा रहा है। क्या हिन्दी में इनके मूल समानार्थी या पर्यायवाची शब्द नहीं हैं? जिनका हमेषा उपयोग समस्त मीडिया करें ताकि वह हमारे जीवन की दिनचर्या का अभिन्न अंग बन जाये देश के हिंदी के साहित्यकारों और हिंदी भाषा के मूर्धन्यों को आगे बढ़कर मीडिया व सरकार को इनके हिंदी मूल शब्द बताकर उनका पूरा प्रचार- प्रसार करवाना चाहिए। वैसे आप सभी जानते हैं, इस कार्य हेतु इस समय मीडिया ही सबसे बड़ा हथियार, प्लेटफॉर्म और साधन हैं, जिस माध्यम द्वारा किसी भी चीज, तथ्य और शब्दों को कम मेहनत से ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच व्यक्ति के जीवन में प्रचलित उतारा जा सकता है। मैं जब इन शब्दों के हिंदी पर्यायवाची शब्दों को मीडिया के द्वारा प्रसारित करने की बात कह रहा हूं तभी यह बात भी ध्यान में आई कि मीडिया स्वयं ही इसका पालन नहीं कर रहा है। आप जरा मीडियो के ही नामो पर गौर फरमाइये। हिंदी भाषा की वास्तविक स्थिति आपको समझ में आ जाएगी। “आज तक' को छोड़कर अधिकतम चेनलों के नाम अंग्रेजी शब्दों द्वारा बने लिए हुए हैं। एबीपी न्यूज, जी न्यूज, एनडीटीवी, इंडिया न्यूज 18, आर रिपब्लिक भारत, इंडिया न्यूज, इंडिया टीवी, आईएनडी 24, आई,बी,सी 24 ,सुदर्षन न्यूज, टी.वी.19 भारत वर्ष, दूरदर्षन न्यूज, डी.डी न्यूज, न्यूज स्टेट, स्वराज, इंडिया वाईस, न्यूज नेशन,न्यूज वल्ड इंडिया, टोटल टी.वी, भास्कर न्यूज चेनल, इत्यादि और न जाने कितने सब चैनलों के नाम पूरी तौर से अंग्रेजी भाषा व शब्दावली में बने हैं इन अंग्रेज दा मीडिया वालों से हिंदी शब्दों के उपयोग की कैसे उम्मीद कर सकते हैं। सबसे विराट प्रश्न तो यहीं उत्पन्न हो जाता है। इसलिए मैं सोचता हूं कि इस समय समस्त हिंदी प्रेमी नागरिकों साहित्यकारों हिंदी विशेषज्ञों के साथ सरकार (जिसका यह प्रथम दायित्व है कि राष्ट्रभाषा हिंदी होने के कारण समस्त अधिकृत स्तर (प्लेटफार्म ) पर हिन्दी का ही प्रचार-प्रसार करे एवं करवाना सुनिष्चित करें। साथ बैठकर हिंदी की इस अवस्था (अव्यवस्था?) पर विचार कर कुछ न कुछ रास्ते निकालने की आवश्यकता है। ताकि हिन्दी को उसका वह स्थान मिल सके जिसकी की वह अधिकारी है। सरकार एवं सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों का यह "संवैधानिक" व भारतीय दायित्व भी है|

Similar questions