यातायात एवं संचार साधनों का जाल, प्रदेश की जीवन रेख क्यों कहा जाता है ?
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यातायात का शाब्दिक अर्थ है- आना-जाना! साधन से तात्पर्य है- वह चीजें जिन पर बैठ कर या सवार हो कर हम लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर आ जा सके। आदि मानव पैदल ही आया जाया करता था। उसके बाद उसने जानवरों को वेश में करना सीखा। उन्हें पालतू बनाया एवं घोड़े, हाथी, ऊँट व बैल इत्यादि पर सवार होकर आने जाने लगा।
essay on yatayat ke sadhan in Hindiधीरे धीरे आदमी ने अपनी सुविधा अनुसार नये नये आविष्कार किये और प्रगति करता गया। जानवरों को रथ गाड़ी में जोता गया व इक्के, तांगे प्रयोग में लाये जाने लगे। नदियों और समुन्द्र की यात्रा के लिए नौकायें बनीं फिर जहाज और हवाई जहाज बने। अब तो बड़े बड़े क्रूज बनाये जा रहे हैं।
आधुनिक युग विज्ञान का युग है। पहिये के आविष्कार से दुनिया के विकास में गति आयी। रेलगाड़ी, मोटरें, बस, स्कूटर, मोटर साइकिल इत्यादि का निर्माण करके आदमी तेजी से इधर उधर आने जाने लगा। पक्षियों को देखकर आदमी की कल्पना भी उड़ान भरने लगी और वायुयान और तेज जेट विमानों का आविष्कार हुआ।