यातायात की समस्या एवं उपाय इस विषय पर निबंध लिखिए
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आम आदमी में अैक्सी पर यात्रा करने का सामथ्र्य नहीं है। सुख-दुख के आपात क्षणों में ही आम आदमी टैक्सी-स्कूटर का झिझक के साथ प्रयोग कर पाता है। महानगरों का विस्तार इस सीमा तक हो चुका है, काम-धंधे के क्षेत्र घरों से इतनी दूर हो चुके हैं कि तांगा-रिक्शा और प्राय: साइकिल भी इस सबके लिए अनुपयोगी बन चुका है।
भारतीय सड़कें विभिन्न प्रकार के वाहनों – कारों, बसों, ट्रकों, कृषि वाहनों (ट्रैक्टर आदि), साइकिल, रिक्शा (तीन पहिया यात्री गाड़ी), मोटरसाइकिल और पैदल चलने वालों के साथ भीड़भाड़ से भरी हुई हैं। यहां तक कि विक्रेताओं और सड़क के किनारे वाले स्टालों को भी आसानी से सड़क पर अतिक्रमण करते देखा जा सकता है।
वाहनों और विभिन्न यात्रियों की इतनी विशाल विविधता के साथ, सभी के लिए सुरक्षित पारगमन सुनिश्चित करने के लिए सड़क का उपयोग करते समय विशिष्ट नियमों को डिजाइन करना अनिवार्य हो जाता है। इस प्रकार, ट्रैफ़िक नियम तस्वीर में आते हैं। वे नियमों और विनियमों का एक समूह हैं, जिनका सड़कों पर उपयोग करते समय पालन किया जाना है।
सड़कों पर यातायात को विनियमित करने के नियम मोटर वाहन अधिनियम 1988 में डाले गए हैं। यह अधिनियम 1 जुलाई 1989 से लागू हुआ और पूरे भारत में समान रूप से लागू है।
भारत में कुछ सबसे महत्वपूर्ण यातायात नियम हैं – सभी निजी और वाणिज्यिक वाहनों का अनिवार्य पंजीकरण और बीमा; केवल 18 वर्ष की आयु पर या उससे ऊपर के वयस्कों को ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना; शराबी ड्राइविंग पर जुर्माना और कारावास; पैदल यात्रियों और अन्य यात्रियों की सुरक्षा के लिए गति सीमा और ज़ेबरा क्रॉसिंग; अनिवार्य हेलमेट और सीट बेल्ट; सभी प्रकार के वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र; किसी चौराहे के पास जाते समय, सड़क पर पहले से चल रहे वाहन आदि को रास्ता देना आदि।
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रेल, हवाईजहाज, पानी के विशाल जहाज, कार इत्यादि आधुनिक यातायात के साधनों के बगैर इस आधुनिक युग की कल्पना करना भी असंभव है। इन साधनों के कारण ही मानव का जीवन सरल व सुखमय बन पाया है। ... सड़क पर सरपट दौड़ने वाली बस, कार, स्कूटर, रिक्शा इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ व गैस हमारे पर्यावरण को जहरीला बना रहे हैं।
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