Hindi, asked by karalehrishikesh, 4 months ago

या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुए वार्तालाप या सम्भाषण को संवाद कहते हैं।
दूसरे शब्दों में- दो व्यक्तियों की बातचीत को 'वार्तालाप' अथवा 'संभाषण' अथवा 'संवाद' कहते हैं।

संवाद का सामान्य अर्थ बातचीत है। इसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति भाग लेते है। अपने विचारों और भावों को व्यक्त करने के लिए संवाद की सहायता ली जाती है। जो संवाद जितना सजीव, सामाजिक और रोचक होगा, वह उतना ही अधिक आकर्षक होगा। उसके प्रति लोगों का खिंचाव होगा। अच्छी बातें कौन सुनना नहीं चाहता ? इसमें कोई भी व्यक्ति अपने विचार सरल ढंग से व्यक्त करने का अभ्यास कर सकता है।

वार्तालाप में व्यक्ति के स्वभाव के अनुसार उसकी अच्छी​

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Answered by Anonymous
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Answer:

या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुए वार्तालाप या सम्भाषण को संवाद कहते हैं।

दूसरे शब्दों में- दो व्यक्तियों की बातचीत को 'वार्तालाप' अथवा 'संभाषण' अथवा 'संवाद' कहते हैं।

संवाद का सामान्य अर्थ बातचीत है। इसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति भाग लेते है। अपने विचारों और भावों को व्यक्त करने के लिए संवाद की सहायता ली जाती है। जो संवाद जितना सजीव, सामाजिक और रोचक होगा, वह उतना ही अधिक आकर्षक होगा। उसके प्रति लोगों का खिंचाव होगा। अच्छी बातें कौन सुनना नहीं चाहता ? इसमें कोई भी व्यक्ति अपने विचार सरल ढंग से व्यक्त करने का अभ्यास कर सकता है।

वार्तालाप में व्यक्ति के स्वभाव के अनुसार उसकी अच्छी

what to do in this

Answered by hemantsuts012
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Answer:

दो या दो से अधिक लोगों के बीच की बातचीत को संवाद कहा जाता है और इसे लिखने की प्रक्रिया को संवाद कहा जाता है।

Explanation:

दो या दो से अधिक लोगों के बीच बातचीत या बातचीत को संवाद कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में- दो व्यक्तियों के वार्तालाप को 'बातचीत' या 'संवाद' कहते हैं।

संवाद का सामान्य अर्थ बातचीत है। इसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति भाग लेते हैं। संवाद का उपयोग किसी के विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। संवाद जितना जीवंत, सामाजिक और रोचक होगा, उतना ही आकर्षक होगा। लोग उसकी ओर आकर्षित होंगे। अच्छी बातें कौन नहीं सुनना चाहता? इसमें कोई भी व्यक्ति अपने विचारों को सरल तरीके से व्यक्त करने का कर सकता है।

बातचीत में व्यक्ति के स्वभाव के अनुसार ही अच्छी और बुरी सभी चीजों को जगह दी जाती है। इससे छात्रों में तर्क शक्ति का विकास होता है। नाटकों में संवाद का सर्वाधिक प्रयोग होता है। इसमें रोचकता, प्रवाह और स्वाभाविकता होनी चाहिए। इसकी भाषा ऐसी होनी चाहिए जो व्यक्ति, परिवेश और स्थान के अनुसार हर तरह से सरल हो। इतना ही नहीं बातचीत भी छोटी और मुहावरेदार होनी चाहिए।

संवाद के कई नाम हैं: बातचीत, आलाप, सलाप, कहानी, आदि। यह कहानी, उपन्यास, एक-एक्ट, नाटक आदि का जीवन है। इसके माध्यम से पात्रों की सोच, सोच-शैली, तर्क क्षमता और उनके चरित्र का पता चलता है। नाटक का कथानक संवादों से बनता है।

संवाद वाक्य प्राकृतिक होने चाहिए, कृत्रिम नहीं। लंबे, कठिन और जटिल संवाद अक्सर नकली होते हैं। केवल एक अच्छा संवाद लेखक ही नाटक, रेडियो नाटक, लघु कथाएँ लिखने का कौशल प्राप्त करता है।

स्पीकर के अनुसार भाषा थोड़ी भिन्न होती है। उदाहरण के लिए, एक शिक्षक की भाषा छात्र की तुलना में अधिक संतुलित और संक्षिप्त होगी। एक पुलिस अधिकारी और एक अपराधी की भाषा में बहुत अंतर होगा। इसी तरह, दो दोस्तों या महिलाओं की भाषा कुछ अलग होगी। दो व्यक्ति, जो एक दूसरे के दुश्मन हैं - की एक अलग भाषा होगी। अर्थात् संवाद-लेखन में पात्रों के लिंग, आयु, कार्य, स्थिति का ध्यान रखना चाहिए।

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