युद्ध मंत्री हरीश चन्द्र कहाँ झंडा फहराने गए ? class 10 diary ka ek panna
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Explanation:
लाल किले की प्राचीर पर 15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री द्वारा तिरंगा फहराना आज भले ही स्वतंत्रता दिवस का पर्याय है, लेकिन बहुत कम लोगों को यह बात मालूम होगी कि आजादी हासिल करने के बाद लाल किले पर पहली बार 15 अगस्त को नहीं, बल्कि 16 अगस्त 1947 को सुबह साढ़े आठ बजे राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था।
इतिहासकारों के अनुसार, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार 16 अगस्त 1947 को सुबह साढ़े आठ बजे लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहण किया था। उस समय नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चलो दिल्ली के नारे और दिल्ली के लालकिले पर आजादी के ध्वज को फहराए जाने के अपने सपने का जिक्र किया था।
भारतीय डाक विभाग द्वारा कई डाक संग्रहण प्रतियोगिताओं में निर्णायक की भूमिका अदा कर चुके कोलकाता निवासी शेखर चक्रवर्ती ने अपने संस्मरणों फ्लैग्स एंड स्टैम्प्स में लिखा है कि 15 अगस्त 1947 के दिन वायसराइल लॉज (अब राष्ट्रपति भवन ) में जब नई सरकार को शपथ दिलाई जा रही थी, तो लॉज के सेंट्रल डोम पर सुबह साढ़े दस बजे आजाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज पहली बार फहराया गया था।
उन्होंने बताया कि इससे पूर्व 14-15 अगस्त की रात को स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज कौंसिल हाउस के उपर फहराया गया, जिसे आज संसद भवन के रूप में जाना जाता है।
इससे पहले 14 अगस्त 1947 की शाम को ही वायसराय हाउस के उपर से यूनियन जैक को उतार लिया गया था। इस यूनियन जैक को आज इंग्लैंड के हैम्पशायर में नार्मन ऐबी आफ रोमसी में देखा जा सकता है।
15 अगस्त 1947 को सुबह छह बजे की बात है। देश के इतिहास में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दिए जाने का कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में पहले समारोहपूर्वक यूनियन जैक को उतारा जाना था, लेकिन जब देश के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू के साथ इस पर विचार विमर्श किया, तो उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि यह ऐसा दिन है जब हर कोई खुशी चाहता है, लेकिन यूनियन जैक को उतारे जाने से ब्रिटेन की भावनाओं के आहत होने के अंदेशे के चलते उन्होंने समारोह से इस कार्यक्रम को हटाने की बात कही।
भारतीय रिजर्व बैंक में करीब 35 साल तक विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले आर सी मोदी ने अपने संस्मरणों इंडिपेंडेंस डे 1947 : दिल्ली ,में लिखा है कि इसी के चलते 15 अगस्त को दोपहर बाद राष्ट्रीय ध्वज को पहली बार सार्वजनिक रूप से सलामी दिए जाने का कार्यक्रम वार मैमोरियल आर्च (आज का इंडिया गेट) में आयोजित किया गया।
जिस समय प्रधानमंत्री वहां झंडा फहरा रहे थे उसी समय साफ खुले आसमान में जाने कैसे इंद्रधनुष नजर आया और उसे देखकर वहां जमा भीड़ हतप्रभ रह गयी।
Answer:
भारत की आज़ादी से चार दशक पहले, साल 1907 में विदेश में पहली बार भारत का झंडा एक औरत ने फहराया था.
46 साल की पारसी महिला भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी 'इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस' में ये झंडा फहराया था. ये भारत के आज के झंडे से अलग, आज़ादी की लड़ाई के दौरान बनाए गए कई अनौपचारिक झंडों में से एक था.
मैडम कामा पर किताब लिखनेवाले रोहतक एम.डी. विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफ़ेसर बी.डी.यादव बताते हैं, "उस कांग्रेस में हिस्सा लेनेवाले सभी लोगों के देशों के झंडे फहराए गए थे और भारत के लिए ब्रिटेन का झंडा था, उसको नकारते हुए भीकाजी कामा ने भारत का एक झंडा बनाया और वहां फहराया."